यह महिमा भी न्यारी है__ कोरोना काल में 140 देशों में 5 लाख लोगों ने किया आनलाइन गीता पाठ
इंदौर। गीता विश्व का सबसे उत्कृष्ट ग्रंथ माना गया है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जो जन साधारण से लेकर बालकों और बुजुर्गों के लिए बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध है। कोरोना काल में 140 देशों में पांच लाख से अधिक लोगों ने आनलाइन गीता पाठ किया। आज भी लाखों लोग इसका मनन-मंथन कर रहे हैं। गीता आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता के साथ आत्मसमर्पण के लिए भी प्रेरित करने वाला एकमात्र ग्रंथ है। भगवान ने कहा भी है कि अपने प्रत्येक कर्म को आप पूजा समझकर करेंगे तो कर्म की सार्थकता और सफलता में कोई संदेह नहीं रहेगा।
यह बात राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि ने गीता भवन में कही। वे 65वें अभा गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा में संबोधित कर रहे थे। जगद्गुरु स्वामी रामदयाल महाराज ने हिंदुत्व पर अडिग रहने और हिंदुत्व को मजबूत बनाने के लिए तन, मन, धन से हरसंभव सहयोग करने की शपथ दिलाई।
अग्रसेन धाम फूटी कोठी पर पर आयोजित गीता जयंती महोत्सव में स्वामी परमानंद महाराज ने कहा कि मानव मन अत्यंत चंचल है। मनुष्य को भटकाता है। मन के वशीभूत होकर ही मनुष्य अनुचित मार्ग का चयन करता है। मन को नियंत्रित करना बहुत कठिन है लेकिन गीता मन को एकाग्र करने के सूत्र बताती है। अन्नापूर्णा मंदिर आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी जयेंद्रनाथ गिरि ने कहा कि मानव के नैतिक पतन को थामने का कार्य गीता के ज्ञान से ही संभव है। रिद्धि-सिद्धि ट्रस्ट के अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि लोकमान्य नगर की विसावा भजनी मंडल ने प्रस्तुति दी।