मध्य प्रदेश में गुजरात फार्मूला : शिवराज के सामने फिर चुनौती
सीएम बदलेंगे या मंत्रिमंडल में होगा बड़ा बदलाव, घर बैठाए जा सकते हैं कई मंत्री, कई विधायकों के टिकट भी संकट में
योगेंद्र जोशी इंदौर।
गुजरात में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के बाद चुनाव लड़ने से भाजपा की बंपर जीत हुई। भाजपा आलाकमान से यह संकेत भी मिल रहे हैं कि जिन राज्यों में अगले वर्ष चुनाव होने हैं, वहां भी गुजरात फार्मूला लागू किया जाएगा। अगले वर्ष मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हैं। तब राजनीतिक गलियारे में अहम सवाल यह उठ रहा है कि क्या मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री का चेहरा बदलेंगे या फिर शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री पद पर रखकर मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल होगा। राजनीतिक तौर पर सभी अपने -अपने ढंग से कयास लगा रहे हैं। फिलहाल शिवराज सिंह चौहान का पूरी तरह विकल्प दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन भाजपा एकदम नए नाम को उतारने में भी माहिर रही है। विधायकों में से ही कोई ऐसा नाम भी आ सकता है जो संघ से जुड़ा हुआ हो और विवादित न हो। हालांकि, खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी गुजरात चुनाव के पहले से ही बहुत अधिक सक्रिय हो गए हैं। गुजरात चुनाव का परिणाम आने के बाद उनके लिए अपने आप को बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है। यह चुनौती है उनकी सर्व स्वीकार्यता की। विधायकों से लेकर केंद्रीय सत्ता और भाजपा के कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन तक उन्हें अपने आप को स्वीकार्य तौर पर बनाए रखना होगा। मुख्यमंत्री बदलेगा या नहीं यह तो भाजपा की अगली रणनीति बताएगी लेकिन यह लगभग तय है कि अधिकांश मंत्री घर बैठा दिए जाएंगे।
रिपोर्ट कार्ड भी बनेगा आधार
बताया जाता है कि पिछले दिनों भाजपा ने विधायकों और मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया था। जो लोग रिपोर्ट कार्ड में अपने कार्यों और लोकप्रियता की कामयाबी हासिल नहीं कर पाए हैं, उन्हें चुनाव या उसके पहले बाहर का दरवाजा दिखाया जा सकता है । यानि मंत्रियों को हटाया जा सकता है और विधायकों को अगले टिकट के लाले पड़ सकते हैं।
मध्य प्रदेश सहित पूरे देश में लागू होगा गुजरात फार्मूला – विजयवर्गीय
गुजरात फॉर्मूले को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि ये फॉर्मूला मध्यप्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में लागू होगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में हर चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, किसी भी राजनीतिक दल के लिए। इससे सीख लेनी चाहिए।