जीतू पटवारी ने सांवराखेड़ी की जमीन के दस्तावेज सौंपे
सांवराखेड़ी में मंत्री व उनके परिवार की जमीन, सिंहस्थ क्षेत्र से खुद की जमीन बचाने के लिए मोहन यादव कर रहे मास्टर प्लान से छेड़छाड़…
उज्जैन। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवराज सरकार के मंत्री मोहन यादव के चेहरे से नकाब नोचते हुए वे दस्तावेज भी दिए हैं जो यह दर्शा रहे हैं कि आखिर मंत्री जी क्यों सिंहस्थ भूमि से खिलवाड़ कर उसे आवासीय करने पर तुले हुए हैं। पटवारी ने कहा भी है कि भाजपा वाशिंग मशीन हो गई है। यहां आकर माफिया धुल कर साफ हो जाते हैं। शिवराज सरकार भी माफिया को संरक्षण देकर दोहरे मापदंड अपना रही है। वह भाजपा के माफिया को छोड़ रही है। भू माफिया को संरक्षण दे रही है। पूर्व मंत्री पटवारी ने पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को कैबिनेट मंत्री की जमीन के वे दस्तावेज भी सौंपे हैं, जिनसे पता चलता है कि खुद मंत्री मोहन यादव, उनके बेटे वैभव यादव, पत्नी सीमा यादव, पिता पूनमचंद यादव, भाई नंदलाल यादव एवं बहन कलावती यादव की सांवराखेड़ी में जमीन है।
मंत्री परिवार में किसकी कितनी जमीन
प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा पत्रकार वार्ता में दिए गए दस्तावेज के अनुसार मोहन यादव की 6.85 हेक्टेयर, वैभव मोहन यादव की 1.79 हेक्टेयर, सीमा मोहन यादव 1.36 हेक्टेयर, पूनमचंद यादव 0.31 हेक्टेयर, नंदलाल यादव 1.65 हेक्टेयर, कलावती यादव की 0.4280 हेक्टेयर जमीन है।
शनिवार को हुई पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कैबिनेट मंत्री मोहन यादव पर गंभीर आरोप लगाए। पटवारी ने मीडिया से कहा कि मोहन यादव अपनी और परिवार की सांवराखेड़ी स्थित जमीन को आवासीय करने के लिए मास्टर प्लान से छेड़छाड़ कर रहे हैं। कायदे से नैतिकता के नाते मंत्री यादव को खुद ही मास्टर प्लान की दावे आपत्ति एवं सुझाव की सुनवाई करने के लिए गठित समिति से अलग करना चाहिए था। लेकिन उन्होंने न सिर्फ जनसुनवाई की बल्कि जमीन को आवासीय करने का षड्यंत्र रचा। क्षेत्र में अधिकतर जमीन मोहन यादव एवं उनके परिवार की है। मंत्री जी ने ही अपनी जमीन का आवासीय करने के लिए पूरा खेल जमाया। न्याय देने वाला एवं न्याय पाने वाला एक ही आदमी होगा, तो फिर इंसाफ कैसे होगा? मास्टर प्लान में भी ऐसा ही हुआ। खुद मंत्री जी अपना हित साधने के लिए समिति की बैठक में अपने अनुसार निर्णय ले रहे हैं। 400 से ज्यादा आपत्तियों को सुना तक नहीं और अपनी मर्जी से निर्णय कर लिया। इससे जनप्रतिनिधि, संत समाज एवं जनता में गहरा आक्रोश है। कांग्रेस भी इस फैसले का घोर विरोध करती है। कांग्रेसी इस प्रस्ताव को निरस्त कराने के लिए सड़क से लेकर कोर्ट और विधानसभा तक लड़ाई लड़ेगी। पटवारी ने कहा सिंहस्थ एवं महाकाल से उज्जैन है। करोड़ों लोग गहरी आस्था लेकर यहां आते हैं। केवल एक व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए पूरे शहर को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। क्षेत्र एवं शिप्रा को संरक्षित करना बेहद जरूरी है। 2028 के सिंहस्थ में 25 करोड़ से ज्यादा लोग आ सकते हैं। उनके हिसाब से ही अभी से तैयारी करनी होगी। इसके लिए भूमि को अधिसूचित करना जरूरी है। पटवारी ने बताया कि मास्टर प्लान में सिंहस्थ भूमि को संरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री से भी मिला जाएगा। किसी भी सूरत में सिंहस्थ की जमीन का उपयोग आवासीय नहीं करने दिया जाएगा। पूर्व मंत्री पटवारी का कहना है कि मास्टर प्लान में बदलाव से फायदा शहर को नहीं बल्कि चंद लोगों को होगा।