सत्तापक्ष के प्रति सामने आया मेघवाल समाज का आक्रोश

सुसनेर। फेसबुक पर पोस्ट का मामले में अब मेघवाल समाज भी सामने आया हैं। मामलें में मेघवाल समाज एवं भीम आर्मी ने गुरूवार की दोपहर में मामलें में धारा 151 के तहत दिनांक 13 दिसम्बर से जैल में बंद गोविंद सूर्यवंशी की जेल से रिहाई के संबन्ध में एसडीएम सोहन कनास को ज्ञापन सौपा। ज्ञापन के बाद मामलें को बढता देख गोविन्द सुर्यवंशी को शाम होते होते जमानत पर रिहा कर दिया गया। मामलें में ज्ञापन के माध्यम से मेघवाल समाज ने दलित को प्रताडित करने के साथ ही 15 दिसम्बर गुरूवार की शाम तक जमानत नही होने पर सडकों पर उतरकर एसडीएम कार्यालय में धरने की चेतावनी भी दी थी। जिसके बाद गुरूवार की शाम को गोविन्द सुर्यवंशी को जमानत देने के साथ ही जैल से रिहा भी कर दिया गया। हालाकि इस घटनाक्रम से कही ना कही गोविन्द मेघवाल की जमानत में राजैनैतिक दबाव की बात स्पष्ट रूप से सामने आई हैं। राजनैतिक दबाव खबर के बाद से मेघवाल समाज में सत्तापक्ष के नेताओं के विरूध आक्रोश भी सामने आ रहा हैं। मेघवाल समाज के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. भवानीशंकर वर्मा ने बताया कि मेघवाल समाज को आये दिन प्रताड़ित होना पड़ रहा है। पूर्व में भी 31 दिसंबर 2018 में सिद्धु मेघवाल निवासी देहरिया को जला कर हत्या कर दी गई थी जिसके अपराधी आज तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है। वही गोविंद सूर्यवंशी को किसकी शिकायत एवं किस अपराध में बंद है इसकी भी हमे कोई जानकारी नहीं दी जा रही है।
यह था मामला
फेसबुक पर सच की आवाज नाम से पेज बनाकर इस पर क्षैत्र के विधायक राणा विक्रम सिंह के संबध में पोस्ट डालने एवं भाजपा नेता,समाजिक कार्यकर्ता एवं कांग्रेस नेताओं के द्ववारा उनका सहयोग करने के संबध में विडियों जारी हुआ था। इस विडियों को क्षैत्र के विधायक राणा विक्रम सिंह ने अपनी फेसबुक आईडी से जारी किया था। इसके बाद से सुसनेर में बबाल मचा हुआ हैं। इस मामलें में पिछले 3 दिनों से लगातार आंदोलन सामने आ रहा है। यह मामला आने वालें समय में और बडा रूप ले सकता हैं। मामलें में भाजपा नेताओं के बाद अब मेघवाल समाज एवं भीम आर्मी सामने आई हैं।
मेघवाल समाज के गोविन्द सुर्यवंशी पर धारा 151 में प्रकरण पंजीबद्व होने और उसके बाद इसकी रिहाई में सामने आए राजनैतिक दबाव से मेघवाल समाज का आक्रोश सत्तापक्ष के राजनैताओं के विरूध सामने आ रहा हैं। सुसनेर विधानसभा में मेघवाल समाज की लगभग 50 हजार से अधिक वोटबैक हैं। ऐसे में आने वालें समय में भाजपा के लिए यह परेशानी का सबब बन सकता हैं।