मंत्री मोहन यादव ने की सीता मैया के जीवन की तलाकशुदा जैसी लाइफ से तुलना
पृथ्वी में समा जाना यानी पति के सामने शरीर छोड़ना आज के संदर्भ में आत्महत्या जैसा
उज्जैन। विवादास्पद बयानों के लिए चर्चित उच्च शिक्षा मंत्री और बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के विधायक मोहन यादव ने सीता मैया के जीवन की तुलना तलाकशुदा जैसी लाइफ से कर दी। यही नहीं, बल्कि उन्होंने धरती फटने और सीता मैया के उसमें समा जाने वाले घटनाक्रम को आज के संदर्भ में आत्महत्या से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि सीता का भूमि में समाना आज के दौर में सुसाइड जैसा है। लव-कुश जंगल में पैदा हुए, फिर भी माता सीता ने उन्हें पिता के प्रति श्रद्धा की शिक्षा दी।
किसी को घर से निकाला दे दो तो वह है ही क्या ?
मोहन यादव रविवार को उज्जैन के नागदा में थे। वे यहां नागदा-खाचरौद क्षेत्र के कारसेवकों के सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
मंत्री मोहन यादव मंच से भगवान श्रीराम और माता सीता के आदर्शों की बात कह रहे थे। माता सीता को लेकर उन्होंने कहा – जिस सीता माता को लेकर इतना बड़ा युद्ध करके लाए, उसे गर्भवती होने पर भी राज्य की मर्यादा के कारण छोड़ना पड़ा। उस सीता माता के बच्चों को जंगल में जन्म लेना पड़े, वह माता इतने कष्ट के बावजूद भी पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि वह कष्टों को भूल कर भगवान राम के जीवन की मंगल कामना करती है। भगवान राम के गुणों को बताने के लिए उन्होंने बच्चों को भी संस्कार दिए। आमतौर पर आज का समय हो, तो यह तलाक के बाद का जीवन समझ लो आप। किसी को घर से निकाला दे दो, तो वो है ही क्या। ऐसे कष्ट के बाद भी संस्कार कितने अच्छे कि लव-कुश पुनः रामायण याद दिला रहे भगवान राम को।
लक्ष्मण ने भी प्राण त्यागे
मंत्री मोहन यादव ने आगे कहा – अच्छी भाषा में कहा जाए, तो पृथ्वी फट गई, तो माता उसमें समा गई। सरल और सरकारी भाषा में कहा जाए, तो उनकी पत्नी ने उनके सामने शरीर छोड़ा। शरीर छोड़ने को आत्महत्या के रूप में माना जाता है, लेकिन इतने कष्ट के बावजूद भी भगवान राम ने जीवन कैसे बिताया होगा, जिस सीता के बिना एक क्षण भी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन उसके बावजूद भी भगवान राम ने राम राज्य के बारे में अपना जीवन दिया। आगे बढ़ेंगे तो उनके सामने ही भगवान लक्ष्मण ने भी प्राण त्यागे, फिर भी रामराज्य चलता रहा।