एक रिपोर्ट, और ….अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट…! चवन्नी होते जा रहे जगत सेठ के डॉलर ..?
जगत सेठों में से एक गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही हैं। एक रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी के शेयरों में भारी बिकवाली देखी जा रही है। फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म ने कहा है कि वह गौतम अडानी के स्वामित्व वाली कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन पर है। इसने अडानी की कंपनियों में कर्ज को लेकर सवाल उठाए हैं। साथ ही अडानी ग्रुप की कंपनियों को 85 फीसदी से ज्यादा ओवरवैल्यूड भी बताया गया है। कारोबारी सत्र के दौरान अडानी ग्रुप के सभी 10 शेयर लाल निशान पर ट्रेड करते दिखाई दिए।
अडानी के शेयरों में भारी गिरावट
अडानी ग्रुप के शेयर बुधवार को बड़ी गिरावट के साथ ट्रेड करते दिखे। इसके अलावा एसीसी, एनडीटीवी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पावर के शेयरों में 5 फीसदी से अधिक की गिरावट दिखी।
अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ 27 जनवरी को आ रहा है। यह एफपीओ 20,000 करोड़ रुपये का है। अगर यह एफपीओ पूरा भरा तो यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा एफपीओ होगा। इस एफपीओ से मिली रकम में से कुछ का इस्तेमाल ग्रुप ग्रीन हाइड्रोजन, एयरपोर्ट्स और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में पूंजीगत योजनाओं पर खर्च करेगा। वहीं, 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स, अडानी रोड ट्रांसपोर्ट और मुंद्रा सोलर के कर्ज के पुनर्भुगतान में यूज होगा।
अडानी ग्रुप के सीएफओ ने बताया बकवास
अडानी ग्रुप के सीएफओ जुगशिंदर सिंह ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का खंडन किया है। उन्होंने इस रिपोर्ट को आधारहीन बताया है। सिंह ने कहा कि जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उनमें फैक्ट नहीं है। साथ ही इसे उन्होंने दुर्भावना से प्रेरित भी बताया। उन्होंने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट गलत सूचनाओं से भरी है।
पत्रकार रवीश कुमार ने जगत सेठ पर किया था करारा प्रहार
अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। एक रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर धड़ाधड़ गिरते चले गए, यानी आर्थिक जगत में भूचाल आ गया है। अडानी के कई ग्रुप लगातार डूबते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार द्वारा पिछले दिनों गए कहे गए कई वाक्य याद आ रहे हैं, जो गौतम अडानी और उनके ग्रुप की हकीकत को बयां करते नजर आते हैं। रवीश कुमार ने एनडीटीवी को तब छोड़ दिया था, जब गौतम अडानी ने एनडीटीवी के 29 प्रतिशत से भी अधिक शेयर खरीद लिए थे। एक प्रकार व् मालिक बन बैठे। वह जो चाहते थे शायद रवीश कुमार को यह मंजूर नहीं था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा देने के बाद कहा था- ”भले ही उन्होंने चिट्ठियाँ छाँटी लेकिन इसके लिए उनसे सहानुभूति न रखी जाए क्योंकि मैं उनकी तरह नहीं हूँ जो बात करते हैं चाय बेचने की और उतरते हैं जहाज़ से। अपने संघर्ष को महान बताने के लिए मैं ऐसा नहीं करना चाहता।”
रवीश कुमार ने कहा था- “मेरे आगे दुनिया बदलती रही, मैं टेस्ट मैच के खिलाड़ी की तरह टिका रहा, पर अब किसी ने मैच ही ख़त्म कर दिया। इसे टी-20 में बदल दिया। जनता को चवन्नी समझने वाले जगत सेठ हर देश में हैं, इस देश में भी हैं। अगर वो दावा करें कि आप तक सही सूचनाएँ पहुँचाना चाहते हैं, तो इसका मतलब है कि अपनी जेब में डॉलर रखकर वो आपकी जेब में चवन्नी डालना चाहते हैं.”
“पत्रकार एक ख़बर लिख दे तो जगत सेठ मुक़दमा कर देते हैं और फिर सत्संग में जाकर प्रवचन देते हैं कि वो आप पत्रकारों का भला चाहते हैं। आप दर्शक इतना तो समझते होंगे।”
रवीश कुमार के शब्दों में गहराई छुपी हुई है, पर फिलहाल तो जगत सेठ का डॉलर चवन्नी होता नजर आ रहा है। आज गौतम अडानी और उनका ग्रुप आर्थिक जगत में डूबता नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि शेयर धड़ाधड़ गिर रहे हैं। उन पर गोदी मीडिया का भी आरोप है और मोदी के साथ का भी। सरकारी तौर पर भले ही मोदी या सरकार उन्हें बचाने की कोशिश करें, लेकिन शेयर बाजार उनके हाथ में भी इस तरह तो नहीं है कि वे धड़ाधड़ गिरते शेयरों को थाम लें या फिर थमवा दें। यानी दोस्ती की खातिर आर्थिक संकट से उबार लें। गौतम अडानी के साथ इस मामले में तो गोदी मीडिया और मोदी दोनों ही तारणहार नहीं हो सकते हैं। यदि अडानी ग्रुप के शेयरों को गिरने की रिपोर्ट सच्ची है, तो यह समझ लेना मुश्किल नहीं होगा कि आर्थिक जगत में बहुत ही कम समय में जगत सेठ बने अडानी के आगे तूफान आया हुआ है, जिससे बचकर निकलना एक जादूगरी भरा कदम होगा।