निगम के सेवानिवृत्त अधिकारियों को चार साल की सजा
उज्जैन। नगर निगम में सिंहस्थ 2004 के दौरान फ्लाईक्लीन एवं सोल्फेक्स पाउडर घोटाले में शामिल तीन अधिकारियों को 18 साल बाद न्यायालय ने चार साल की सजा सुनाई है।
नगर पालिका निगम में सिंहस्थ-2004 मद से क्रय की गई सामग्री के संबंधित प्रकरण पत्रिकाओं के भौतिक सत्यापन के दौरान सामने आया था कि फ्लाईक्लीन और सोल्फेक्स पाउडर के क्रय करने की नस्ती स्टोर में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जांच के दौरान पाया गया था कि सामग्री के बिलों पर अंकित जानकारी गलत है। स्टॉक रजिस्ट्रार में पेज क्रमांक 311 नहीं है और पेज क्रमांक 210 पर किसी प्रकार की जानकारी दर्ज नहीं की गई है। सामग्री प्राप्त किये बिना ही अंकित इंटरप्राइजेस फर्म को 8 लाख 22 हजार 269 रुपये का भुगतान कर दिया गया है, जो फर्म की ओर से अभियुक्त रुपेन्द्र कैथवास ने जिला सहकारी बैंक टॉवर चैक के माध्यम से प्राप्त किया गया है। उपरोक्त स्थिति प्रकरण पत्रिका के गायब हो जाने से, बिलों पर गलत जानकारी दर्ज कर भुगतान प्रस्तावित करने और बिना सामग्री प्राप्त भुगतान करने के आधार पर नगर निगम के साथ धोखाधड़ी होना सामने आने पर निगम कार्यालय की ओर से लिखित शिकायत कोतवाली थाने पर की गई। पुलिस ने जांच के बाद मामले में मुकुंद पटेल, रुपेन्द्र केथवास और राधेश्याम शर्मा के साथ आनंद तिवारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था। 18 साल बाद अष्टम अपर सत्र न्यायाधीश संतोष प्रसाद शुक्ल ने सुनवाई पूरी होने पर फैसला सुनाते हुए नगर निगम से सेवानिवृत्त हो चुके मुकुंद पटेल, रुपेन्द्र कैथवास और राधेश्याम शर्मा को 4-4 साल की सजा धारा 420, 120 बी में सुनाई है। आनंद तिवारी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया गया है। उपसंचालक (अभियोजन) डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि मामले में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक रूपसिंह राठौर द्वारा की गई।