गाँव के अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और उप स्वास्थ्य केंद्रो में उपचार नहीं मिलने से परेशानी
सारंगपुर। इन दिनों सारंगपुर क्षेत्र के गांव गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिकें बडे पैमाने पर खुल रही हैं। इनके पास न तो उपचार करने का लाइसेंस, न अनुभव, न डिग्री फिर भी लोगों का उपचार कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड कर रहे हैं। इसका सबसे बडा कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रो के प्राथमिक अस्पतालो एवं उपस्वास्थ्य केंद्र में संसाधनों और डॉक्टरों का अभाव होना है।
मजबूरन ग्रामीण क्षेत्र के कम पढ लिखे लोग इन्हीं झोलाछाप डाक्टरों पर निर्भर बने हुए है और मजबूरीवश यहां पर उपचार करवा रहे हैं ताकि दर्द से राहत मिल सके। कई बंगालियों और डिप्लोमा धारी लोग बडे बडे अस्पताल तक खोलकर अवैध रूप से चला रहे हैं बावजूद इसके इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
क्षेत्र के गांव में दर्जनो क्लीनिकें अवैध रूप से संचालित हो रहे है। जिनके पास न तो डिग्री न अनुभव, न अनुमति है बावजूद इसके लोगों को उपचार इन क्लीनिकों पर किया जा रहा है। इन गांवों के गरीब व निर्धन वर्ग के लोगों में भी जागरुकता की कमी होने का फायदा क्लीनिक संचालक उठा रहे हैं।
ग्रामीणों का उपचार 50 रुपए से लेकर 5 से 10 हजार रुपए तक किया जा रहा है। बता दें कि लीमाचौहान, भ्याना, पाडल्यामाता, मऊ, उदनखेड़ी आदि ग्रामों के ग्रामीण उपचार इन्ही से करवाने जाते हैं। जब बीमारी ठीक नहीं होती तो यह डाक्टर हाथ खडे कर इन्हें सारंगपुर, शाजापुर और इंदौर-भोपाल जाकर उपचार करवाने की सलाह देते हैं, लेकिन जब तक बहुत देर हो चुकी होती है।