पेपर लीक गैंग का इंदौर- भोपाल में भी तगड़ा नेटवर्क
एमपी अजब है, एमपी गजब है : अब ऑनलाइन भी बिकने लगे हैं परीक्षा के पर्चे ?
संविदा स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद कल करनी पड़ी थी निरस्त
इंदौर/ग्वालियर।
नेशनल हेल्थ मिशन मध्यप्रदेश की 7 फरवरी को आयोजित संविदा स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक होने के बाद एग्जाम को निरस्त कर दिया गया है। इस बीच पता चला है कि पेपर लीक गैंग का ग्वालियर के अलावा इंदौर ,भोपाल और जबलपुर में भी तगड़ा नेटवर्क है। यहां भी इनके रैकेट सक्रिय होने की पुष्टि हुई है। फिलहाल यह पता नहीं चल सका है कि इन शहरों में भी इस गैंग ने क्या- क्या गुल खिला रखे हैं ? यानी कितने छात्र- छात्राओं को पेपर बेचा है। आश्चर्यजनक यह भी है कि आरोपियों के अनुसार उन्होंने यह पर्चा स्ट्रैटेजिक अलायंस मैनेजमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड ( एस ए एम एस ) कंपनी की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदा था। सवाल यह है कि क्या पेपर ऑनलाइन भी बिकने लगे हैं?
ग्वालियर की डबरा पुलिस और क्राइम ब्रांच ने सात लोगों को टेकनपुर की होटल से पकड़ा है। आरोपियों में दो लोग उत्तरप्रदेश, दो लोग हरियाणा और तीन आरोपी ग्वालियर के रहने वाले हैं। आरोपियों ने 15 लाख रुपए में पेपर खरीदा था।
परिजन से मिली गड़बड़ी की सूचना के बाद मारा छापा
मंगलवार सुबह पुलिस को एक छात्र के परिजन ने सूचना दी कि कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया है। वो डील करने डबरा के टेकनपुर स्थित होटल के पास बुला रहे हैं। यहां बड़ी डील हो सकती है। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने वहां छापा मारा और 33 लोगों को पकड़ा। इनमें से सात आरोपी हैं, जो पर्चा बेच रहे थे। दो आरोपी उत्तरप्रदेश के मेरठ और इलाहबाद के रहने वाले हैं। बाकी दो आरोपी हरियाणा और तीन ग्वालियर के रहने वाले हैं। इसके अलावा पकड़ाए गए 26 स्टूडेंट्स में से 15 लड़कियां और 11 लड़के हैं।
आरोपियों के पास से परीक्षार्थियों के डॉक्यूमेंट्स भी मिले हैं। जिन उम्मीदवारों से पर्चे का सौदा हुआ था, उन सभी से टोकन अमाउंट लिया गया था। बकाया राशि एग्जाम के बाद लिया जाना तय हुआ था। एग्जाम के बाद संबंधित उम्मीदवार सौदा नहीं तोड़ें, इसके लिए उनके ओरिजिनल अकेडमिक डॉक्यूमेंट गारंटी के रूप में रखे गए थे।
सेम्स नाम की कंपनी से ऑनलाइन खरीदा था पर्चा
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हाेंने पर्चा स्ट्रेटेजिक अलायंस मैनेजमेंट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (सेम्स) नाम की कंपनी की वेबसाइट से ऑनलाइन खरीदा था। यह कंपनी सरकारी विभागों में रिक्रूटमेंट कंसल्टिंग का काम करती है। इसके एवज में 15 लाख रुपए भी चुकाए थे। हालांकि यह साफ नहीं हो सका है कि कंपनी के पास पर्चा कहां से आया।