पुलिस के सामने मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत, एसडीएम-एसओ समेत 40 पर हत्या का केस
बेटा बोला-लेखपाल ने झोपड़ी में आग लगाई
ब्रह्मास्त्र कानपुर देहता
कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई। पुलिस-प्रशासन सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने गया था। इसी दौरान, एक महिला चिल्लाते हुए दौड़कर झोपड़ी में जाती है। वह अंदर से दरवाजा बंद कर देती है। पुलिस भी वहां पहुंचती है। दरवाजा तोड़ देती है। इसी दौरान, झोपड़ी में आग लग जाती है। महिला और उसकी बेटी अंदर थीं। पुलिस फोर्स और अफसरों के सामने दोनों की जिंदा जलकर मौत हो गई। वहीं, दोनों को बचाने में पति कृष्ण गोपाल बुरी तरह झुलस गए।
सोमवार शाम हुई इस घटना से जुड़े कई वीडियो सामने आए हैं। पुलिस आग बुझाने के लिए बुलडोजर मंगाती है और जलती हुई झोपड़ी को गिरा देती है। फिर वीडियो में महिला के बेटे की आवाज आती है…वह जलती हुई आग को देखकर रोते-बिलखते हुए कह रहा है कि हाय दैया.. देखो मेरी मम्मी जल रहीं हैं…। वह सब गाड़ी छोड़कर चले गए हैं…।
अफसरों ने भागकर
अपनी जान बचाई
मैथा तहसील के मड़ौली गांव मां प्रमिला दीक्षित (41) और बेटी नेहा (21) की मौत के बाद ग्रामीण आकोशित हो गए। ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासनिक अफसरों को दौड़ा लिया। अफसरों ने भागकर अपनी जान बचाई। देर रात तक बवाल चलता रहा। परिजनों की शिकायत पर एसडीएम मैथा ज्ञानेंश्वर प्रसाद, रुरा एसएचओ दिनेश गौतम, लेखपाल अशोक सिंह समेत 40 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। कानपुर कमिश्नर राज शेखर, डीएम नेहा जैन, एडीजी आलोक कुमार समेत अन्य अफसर मौके पर देर रात तक डटे रहे। राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला भी पहुंचीं। परिजनों से बात की। फिर रात 1 बजे मां-बेटी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
वहीं, मृतका प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल दीक्षित ने कहा, “बुलडोजर लेकर एसडीएम और तहसीलदार आए थे। इनके साथ अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, पुतनिया और गांव के कई लोग और भी थे। ये लोग अधिकारियों से बोले कि आग लगा दोङ्घ.तो अफसरों ने आग लगा दी। हम लोग (बेटा और मैं) तो किसी तरह झोपड़ी से बाहर निकले, लेकिन मां-बेटी अंदर रह गई और जलकर उनकी मौत हो गई। हम लोगों को जलता हुआ छोड़कर ही अफसर लोग भाग गए। किसी ने किसी तरह की कोई मदद नहीं की।
वहीं, बेटे शिवम ने रोते हुए कहा, “एसडीएम, एसओ, लेखपाल सभी ने मिलकर मेरे घर में आग लगा दी। मैं और पिता बाहर नहीं निकलते तो हम भी मारे जाते। झोपड़ी के बाहर मंदिर व नल को भी तोड़ दिया। इसके पहले भी डीएम के यहां पर गए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। एसडीएम, लेखपाल, जिलाधिकारी ने साजिश के चलते घर में आग लगाकर सब कुछ राख कर दिया। मम्मी और बिट्टी (बहन) अंदर ही रह गए। हम अंदर गए, लेकिन उनको बचा नहीं पाए। आग लगाने के बाद ये सभी लोग भाग गए।”