सुश्री जयति जैन का संथारा के बाद हुआ देवलोक गमन

बड़नगर। जैन समाज में संथारे का अपना अलग ही महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संथारे का आशय सांसारिक मोह माया को त्याग कर आडंबर को छोड़कर कर आत्मा को परमात्मा में विलीन करने का माध्यम है संथारा नगर के धार्मिक भावना से ओतप्रोत दगवाड़ा वाला परिवार के मुकेश कुमार संगीता दगवाड़ा वाले की पुत्री कुमारी जयति जैन का संथारा ग्रहण करने के कुछ समय पश्चात देवलोक गमन हुआ। आपकी डोल पर सैकड़ों धमार्लुजन ने दर्शन कर वासक्ष्चेप पूजन की। महाप्रयाण यात्रा निज निवास से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गो से होती हुई मुक्तिधाम पहुंची। जहां धार्मिक मान्यता अनुसार अग्नि संस्कार हुआ। उलेखनीय है कि नगर के जैन समाज मे प्रथम बार डोल यात्रा के दर्शन धमार्लुजन ने किए मुक्ति धाम पर आयोजित भावांजलि सभा में अनेक संघो संस्थाओ ने जयति को अपनी भावांजलि अर्पित की। कुमारी जयति दंगवाड़ा की स्मृति में दान राशि का वितरण हीरालाल मुकेश कुमार राजेंद्र कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर धार्मिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए मुकेश दगवाड़ा ने कहा कि 21 लाख रुपए की राशि जयंती जैन दंगवाड़ा की स्मृति में पारमार्थिक ट्रस्ट के माध्यम से सामाजिक धार्मिक शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में खर्च की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष स्थानक वासी श्री संघ में हुए मुनि दिलीप मुनि अभय मुनि गिरीश मुनि के चातुर्मास एवम प्रवर्तक जिनेन्द्र मुनि के होली चातुर्मास का लाभ भी दंगवाड़ा वाला परिवार ने जयति जैन के नाम से लिया था साथ ही शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय के निर्माण एवम प्रतिष्ठा महोत्सव में भी कुमारी जयति जैन दंगवाड़ा ने लाभ लिया था भावानजलि सभा में अनेक धमार्लुजन द्वारा भावांजलि अर्पित करते हुए आपके धार्मिक भावना की भूरी भूरी अनुमोदना की गई भावांजलि सभा का संचालन करते हुए शांतिलाल गोखरू ने दंगवाड़ा वाला परिवार की ओर से जयति जैन के नाम से किए गए धार्मिक कार्यों की और विस्तृत प्रकाश डाला एवम परिवार के वरिष्ठ शंकरलाल जी दंगवाड़ा हीरालालज मुकेश कुमार राजेन्द्र कुमार दंगवाड़ा वाला परिवार ने समस्त स्नेहिजन एवम समाजजन के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। राजकुमार नाहर ने बताया कि जयति जैन का जिन मंदिर दर्शन –प्रभु दर्शन –सामायिक प्रतिकमण आपकी दिनचर्या में शामिल था। जानकारी राजकुमार नाहर ने दी।

Author: Dainik Awantika