परिवार से उपेक्षित बुजुर्गों को भी भिक्षुक बनाकर रखा, नाराज हुए कलेक्टर
इंदौर। केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट के तहत परदेशीपुरा के सामाजिक न्याय परिसर में भिक्षुक पुनर्वास केंद्र जरूर शुरू किया गया है, लेकिन यहां ऐसे बुजुर्गों को रखा गया है जो परिवार से उपेक्षित हैं। ऐसे प्रकरण माता-पिता भरण-पोषण अधिनियम के तहत एसडीएम को सौंपे जाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। शहर के अलग-अलग इलाकों से भिक्षुकों को पकड़कर लाया गया है, लेकिन उनके परिवार, पृष्ठभूमि और समस्या आदि की संपूर्ण फाइल नहीं बनी है।
शनिवार को कलेक्टर इलैया राजा टी ने भिक्षुक पुनर्वास केंद्र का औचक निरीक्षण किया तो यहां इस तरह अव्यवस्था सामने आईं। इसे लेकर केंद्र संचालकों पर कलेक्टर खासे नाराज हुए। कलेक्टर ने कुछ भिक्षुकों से बातचीत भी की। बातचीत में सामने आया कि कोई भिक्षुक कपड़ा मिल में काम करता था तो कोई फूल बेचने का काम करता था। आपसी बातचीत में सामने आया कि परिवार वाले उन्हें अपनाने को तैयार नहीं हैं और वे किसी तरह अपना गुजारा कर रहे थे। इनमें से कुछ वाकई भीख मांगते थे, लेकिन कुछ को बेवजह यहां लाया गया है। इस पर कलेक्टर खासे नाराज हुए और केंद्र के कर्मचारियों को खासी फटकार भी लगाई।
फाइल तैयार करने के निर्देश
निरीक्षण के दौरान मौजूद अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर और सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता तिर्की को उन्होंने निर्देश दिए कि पुनर्वास केंद्र की निगरानी के लिए समिति बनाई जाए। साथ ही केंद्र के कर्मचारियों से कहा कि हर भिक्षुक की संपूर्ण फाइल तैयार की जाए।
बुजुर्गों को साथ रखने को तैयार नहीं परिजन
भिक्षुक पुनर्वास केंद्र की संचालक रूपाली जैन के अनुसार, कुछ भिक्षुकों को उनके परिवार से मिलाकर काउंसलिंग भी करवाई गई, लेकिन वे उनको रखने को तैयार नहीं हैं। कुछ भिक्षुकों को संभालने के लिए पत्नी, बच्चे कोई नहीं है। दूसरे रिश्तेदार संभालना नहीं चाहते। इसलिए मजबूती है। कई भिक्षुक बीमारी से पीड़ित रहे हैं। हम उनका ध्यान भी रखते हैं। पुनर्वास केंद्र पर नहीं, बल्कि अस्पताल में कुछ मौतें हुई हैं।