एसडीएम और कलेक्टर को नोटिस जारी कर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, 2.6 की बजाए 6.8 किमी बनाया जा रहा था बायपास
सारंगपुर। राष्ट्रीय राजमार्ग 752 सी पर बनने वाले पचोर बायपास मामले मे हाईकोर्ट इंदौर ने जनहित याचिका मे नोटिस जारी किए है। जीरापुर-आष्टा मार्ग 752 सी का काम साल 2017 मे शुरू हुआ था। हाइवे निर्माण एजेंसी लोकनिर्माण विभाग (राष्ट्रीय राजमार्ग) संभाग मिसरोद भोपाल से जारी निर्देश अनुसार साल 2018 मे आष्टा, शुजालपुर और पचोर बायपास के लिए जमीन अधिग्रहण की जाना थी। जिस आदेश से शुजालपुर, आष्टा और सारंगपुर एसडीएम को नियुक्त किया था। वर्ष 2019 में पचोर में बायपास बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई तथा पचोर व बिलापुरा की लगभग 11 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण व धारा 3ए राष्ट्रीय राज मार्ग अधिनियम के तहत अधिसूचना जारी करने हेतु लिखा गया किंतु वर्ष 2020 में प्रक्रिया इस कारण से स्थगित कर दी गई कि केंद्र सरकार की स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है। पुन: 1 मार्च 2022 दो गांव के स्थान पर पचोर, सरेड़ी, मिट्ठनपुर, रलायती व पनवाड़ी गांव की लगभग 37 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्रवाई वर्ष 2018 के पत्र के आधार स्थानीय प्रशासन के द्वारा प्रारंभ कर दी गई। तथा मार्च 2022 में प्रारंभिक प्रकाशन किया गया व अक्टूबर 2022 में धारा 3डी के तहत यह व्यक्त करते हुए कि कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है और कार्रवाई प्रारंभ कर दी। इसके पूर्व भारत सरकार द्वारा 24 जून 2021 पूर्व की कार्रवाई के आधार पर सिर्फ दो गांवो की भूमि के अधिग्रहण के संबंध में धारा 3ए के तहत अधिसूचना जारी कर दी। प्रशासनिक अधिकारियो द्वारा उक्त अधिसूचना को बिना निरस्त करवाए और अनदेखा करते हुए दो के स्थान पर 5 गांवो की भूमि का अधिग्रहण प्रारंभ कर दिया। उक्त अधिग्रहण से जहां 2.7 किलोमीटर के स्थान पर 6.8 किलोमीटर बायपास बनाने का प्रयास किया जा रहा है उक्त निर्माण में जहां सरकार को लगभग 4 किमी अधिक मार्ग बनाना पड़ेगा वही भविष्य में वाहन स्वामियों से अधिक टोल वसूला जाएगा और प्रत्येक वाहन को ज्यादा दूरी तय करने में अधिक ईंधन पर राशि को व्यय करना होगा। 11 हेक्टेयर भूमि के स्थान 23 हेक्टेयर कृषि भूमि का अधिग्रहण करना पड़ेगा जिसमें सरकार को अधिक मुआवजा देना होगा तथा कृषि भूमि भी प्रभावित होगी। उक्त समस्त जनहितेषी तथ्यों को लेकर उच्च न्यायालय अधिवक्ता मनीष विजयवर्गीय द्वारा याचिकाकतार्ओं की और से जनहित याचिका दायर की गई। जिस पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ के द्वारा संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।