कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में उठा मप्र में गुटबाजी का मुद्दा
परस्पर विरोधी बयानबाजी पर भी केंद्रीय नेतृत्व ने दिखाई सख्ती
इंदौर/ भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में अक्सर होने वाली बयानबाजी को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व ने सख्ती दिखाई है। भावी मुख्यमंत्री को लेकर बीते दिनों हुई बयानबाजी को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। कांग्रेस में चुनावी वर्ष में भी लगातार बढ़ रही गुटबाजी को लेकर आलाकमान चिंतित है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बेवजह परस्पर विरोधाभाषी बयानबाजी करने वाले नेताओं को हिदायत दी गई है। विधायक दल की बैठक में शामिल होने पहुंचे पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जो लोग बयानबाजी करते हैं, इस पर रोक लगाई जाएगी। इससे पार्टी डैमेज होती है। यह आलोचना का नहीं, चिंतन का समय है। कर्म को करके दिखाने का समय है। चाहे कितने भी बड़े कद का नेता हो। अनावश्यक बयानबाजी ना करें।
गौरतलब है कि कांग्रेस में इन दिनों एक दूसरे को ही निपटाने का दौर चल रहा है। जो खबरें आ रही हैं उसके अनुसार कमलनाथ ने जीतू पटवारी को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष पद से इसलिए हटा दिया कि उन्होंने भावी मुख्यमंत्री जैसे शब्द का विरोध किया था। हालांकि कमलनाथ समर्थकों की इस हरकत का विरोध करने वाले और भी कई नेता हैं। अब कमलनाथ और जीतू पटवारी आमने-सामने हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा जिला और शहर अध्यक्ष तथा पदाधिकारियों की सूची को लेकर भी इंदौर सहित प्रदेश भर में अंदरूनी कलह मची हुई है। राजनीतिक गलियारे में यह बात बहुत गंभीरता से ली जा रही है कि चुनावी वर्ष में अभी तो कांग्रेसी अपने आप से ही निपट रही है, उसे पहले आपसी मतभेद दूर करने हैं।