रंग गुलाल पिचकारी होली के अवसर पर बनने वाली विशेष मिठाई हार कंडे भी हुए महंगे

 

रुनिजा । 6 मार्च को होलिका दहन के बाद से ही रंगों का पर्व धुलेटी से लगाकर रंग तेरस तक रंगों पर्व उत्साह व हुड़दंग मस्ती जे साथ मनाया जाता है ।जिसमें धुलेटी , रंग पंचमी , रंग तेरस आदि धूमधाम से मनाए जाते। बच्चो की टोलिया इस पर्व खूब रंग गुलाल उड़ाकर आनंद के साथ रंगों सरोबार होती ।लेकिन इस बार बोर्ड जी परीक्षा के चलते युवाओं भीड़ बाजारों कम नजर आएगी । होली के पर्व को लेकर बाजारों में हर्बल गुलाल , रंग ,पिचकारी , तथा शक्कर से बनने वाली होली की स्पेशल मिठाई हार कड़े की दुकानें सजने लगी है। और ग्राहकों को आकर्षित कर रही है।
इस अवसर पर पिचकारी विक्रेता बीएल ठन्ना ने बताया कि विगत एक 2 वर्ष से पिचकारी की बिक्री प्रभावित हुई है रंगों की बजाय गुलाल की होली ज्यादा खेले जाने लगी इसलिए पिचकारी व रंग कम बिक रहे हैं। इस बार हम भी समय को देखते हुए पिचकारी कम लाए हैं और इन पर महंगाई की मार भी पड़ी है। जो पिचकारी पहले 10 , 15, 20 में मिल जाती थी अभी 30 ,40, 50 तक की हो गई है ।इसी प्रकार से शक्कर की मिठाई हार , कड़े बेचने वाले देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि महंगाई की मार मिठाइयों पर भी पड़ी है पिछले वर्ष जो मिठाई 100 किलो तक बिक जाती थी इस बार 120 , 25 तक जु बिक रही है। क्योंकि इनकी बनावट की मजदूरी भी महंगी हो गई है और शक्कर के भाव बढ़ गए इसलिए होली की ये स्पेशल मिठाई महंगी हो गई हैं। इसी प्रकार रंग गुलाल बेचने वाले श्याम वैष्णव ने बताया कि गुलाल और रंगों पर भी महंगाई की मार इस बार साफ-साफ दिख रही है। गुलाल पर 20 किलो की बढ़ोतरी हो गई है जो गुलाल गत वर्ष 55 किलो बिक रहा था इस बार सीधा-सीधा 75 किलो बिक रहा है रंग पर भी महंगाई भंग डाल रही है विगत 2 वर्षों से रंग की बजाय गुलाल की होली ज्यादा खेली जाने लगी है इससे रंग और पिचकारी की बिक्री भी प्रभावित हुई है।