श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन
धार जिले के मनावर में
अष्टान्हिका महापर्व के आठवें दिन श्री महावीर जिनालय चैतन्य धाम में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का समापन हुआ
इस अवसर पर जैन श्रद्धालुओ द्वारा मांडने पर 1024 अर्घ्य समर्पित किये गए
मुनि श्री प्रयोग सागर जी एवं प्रबोध सागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं बाल ब्रह्मचारी अनिल भय्या के निर्देशन में इन्द्रगणो ने जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा का अभिषेक एवं शांतिधारा की गई
अभिषेक एवं शांतिधारा का सौभाग्य घीसालाल मानक चंद सौगानी परिवार को प्राप्त हुआ
नित्य नियम पूजन ,नवदेवता पूजन, नंदीश्वर द्वीप पूजन के पश्चात श्री सिद्धचक्र विधान की पूजन में ऋद्धि के 1024 अर्घ्य चढ़ाए
विश्व शांति एवं सभी की मंगल कामना के लिए यज्ञ एवं हवन किया गया
संगीतकार विमल भय्या भोपाल द्वारा संगीत मय पूजन आरती एवं सुंदर भजनों को खूब सराहा गया एवं श्रद्धालुओ ने भक्ति नृत्य भी किया
मुनि श्री प्रयोग सागर जी एवं प्रबोध सागर जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि अष्टान्हिका पर्व पर सिद्ध भगवान की आराधना की जाती है विधान में चढ़ाए गए अर्घ्य का अर्थ विस्तार पूर्वक बताया
वर्ष में तीन बार अष्टन्हिका पर्व आता है इसमें हर व्यक्ति ने सिद्ध भगवान की आराधना करना चाहिए
मुनि श्री कहा कि महासती मैना सुंदरी ने सिद्धचक्र मंडल विधान करवा कर अपने पति श्रीपाल का कोढ़ ठीक किया था इस विधान में कई शक्तियां समाहित है
श्री मति मंजू पहाड़िया ने महासती मैना सुंदरी बनने का शौभाग्य प्राप्त कर बड़े भक्ति भाव से सिद्धचक्र महा मंडल विधान करवाने का शोभाग्य अर्जित किया एवं समाज के साथ मिलकर सिद्ध भगवान की आराधना की
महिला मंडल मनावर द्वारा मुनि श्री को शास्त्र भेट किया गया