इंदौर के फर्जी डिप्टी कलेक्टर ने एक दर्जन से ज्यादा को बनाया शिकार
कार पर लालबत्ती लगाकर करता था रंगदारी, लाखों रुपए ठग चुका
इंदौर। क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार फर्जी डिप्टी कलेक्टर मुकेश सिंह के बारे में नया खुलासा हुआ है। म्यूजिक स्टूडियो चलाने वाले हिमांशु के अलावा एक दर्जन से अधिक लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है। हिमांशु से पांच लाख रुपए की ठगी करने से पहले वह चार लोगों से लगभग 40 लाख रुपए की ठगी कर चुका है। हिमांशु को मुलाकात के डेढ़ साल बाद ही पता चल गया था कि मुकेश फर्जी अफसर है, लेकिन वह हमेशा रुपए देने की बात पर झांसा देकर टालता रहा। क्राइम ब्रांच की गिरफ्त में आए नकली डिप्टी कलेक्टर मुकेश सिंह से पुलिस ने उसकी मानव अधिकार आयोग की नेम प्लेट लगी कार भी जब्त कर ली है। मुकेश इसी कार पर लाल बत्ती लगाकर रंगदारी करता था। वह इंदौर में शीतल नगर में किराए के घर में रहता था। पेशे से किसान पिता ने उसे पढ़ाई के लिए बाहर भेजा, लेकिन अफसर नहीं बन पाया तो ठगी करने लगा। मकान मालिक को भी उसने अपने अफसर होने की बात कही थी। बताया जा रहा है कि आरोपी मुकेश 4 अन्य लोगों को भी जमीन और शासकीय पट्टे दिलाने के नाम पर 40 लाख ठग चुका है। पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर ठगी का शिकार हुए लोगों की जानकारी निकाल रही है।
गाने का शौकीन ठग चलाता है म्यूजिक स्टूडियो
पीड़ित हिमांशु ने बताया कि उसका इंदौर के पिपल्याहाना इलाके में म्यूजिक स्टूडियो है। आरोपी मुकेश गाने का शौकीन है। उससे पहली बार स्टूडियो में ही मुलाकात हुई थी। बातचीत के दौरान मुकेश ने भरोसे में लेकर करीब डेढ़ साल में किस्तों में ले लिए। ट्रेनिंग के साथ नियुक्ति पत्र नहीं मिलने के चलते हिमांशु और उसके रिश्तेदार शशांक ने अपने परिचित के माध्यम से मुकेश सिंह की जानकारी निकाली। जिसमें इंदौर में उसकी पोस्टिंग नहीं होने की बात पता चली। इसके बाद मुकेश सिंह ने भोपाल में पदस्थ होने की बात की, लेकिन वहां भी उसकी जानकारी नहीं मिली।
हिमांशु ने परेशान होकर रुपए मांगना शुरू किया। पिछले एक साल से वह हिमांशु को रुपए देने में टाल मटोल करने लगा। इसके बाद उसने स्टूडियो पर आना भी बंद कर दिया। डिप्टी कलेक्टर के नकली होने की जानकारी मिली तो हिमांशु ने आपत्ति ली। तब मुकेश ने कहा कि मैं डिप्टी कलेक्टर ही हूं, पर मैंने किसी को थप्पड़ मार दिया था। उस घटना की शिकायत भोपाल हो गई थी। इसके बाद मेरी पोस्टिंग मानव अधिकार विभाग में कर दी गई है।