मुस्लिम हॉस्टल के सभी स्टूडेंट बेघर ,उमेश पाल हत्याकांड से स्टूडेंट्स ‘क्रिमिनल’ बन गए, कमरा भी नहीं मिल रहा
इलाहाबाद |*उमेश की हत्या करने 6 नहीं, 13 शूटर पहुंचे थे। शूटर की कार चला रहा था सदाकत खान*
सदाकत के पिता दिल्ली में गार्ड, दो भाई विदेश में
प्रयागराज पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा और UP STF के मुताबिक उमेश पाल मर्डर की साजिश मुस्लिम हॉस्टल में ही रची गई थी। STF की पूछताछ में सदाकत ने बताया कि अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ वॉट्सऐप कॉल के जरिए उससे जुड़ते थे। उमेश की हत्या की साजिश मुस्लिम हॉस्टल के कमरा नंबर 36 में रची गई।
साजिश में अहम रोल अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का था। अशरफ बरेली जेल में बंद है। मुस्लिम हॉस्टल के इस कमरे में ही शूटर्स की मीटिंग हुई थी। पूछताछ में सामने आया है कि उमेश की हत्या करने 6 नहीं, 13 शूटर पहुंचे थे।
हॉस्टल में क्रिमिनल एक्टिविटी के सवाल पर उन्होंने कहा- ‘107 कमरों में 193 बच्चे रहते हैं। इनमें से सिर्फ 167 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने हॉस्टल की फीस जमा की है। 27 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने फीस नहीं दी है। इन्हीं में सदाकत खान भी शामिल है।
*सदाकत खान*
*पेशा वकील*
*ठिकाना मुस्लिम होस्टल*
*कमरा नंबर 36*
अवैध रूप से लोग हॉस्टल में कैसे रहते हैं…
इस बारे में हॉस्टल के छात्रों से सवाल किया तो ऑन कैमरा कोई बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ। एक स्टूडेंट ने बताया, ‘जो छात्र हॉस्टल में एडमिशन लेता है और उसे रहते हुए तीन-चार साल हो जाते हैं तो वह सुपर सीनियर हो जाता है। इसके बाद उसकी ही हॉस्टल में चलने लगती है। वह खुद कई छात्रों को गलत तरीके से कमरों में रोकने लगता है। अगर वह अपराधी प्रवृत्ति का है तो वहां अपराधी भी रुकने लगते हैं। हॉस्टल प्रशासन भी उनसे डरने लगता है।’
छानबीन करने पर सदाकत का मामला भी ऐसा ही नजर आता है। कमरा नं- 36 में रहने वाले सदाकत खान ने दो साल से हॉस्टल के कई कमरों पर कब्जा जमा रखा था। दिसंबर 2022 में गलत तरीके से रह रहे लोगों को हटाने की कार्रवाई हुई थी। तब कमरा नंबर 36, 65, 72, 98, 38 और 101 से ऐसे लोगों को हटाया गया था। कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ने के बाद सदाकत खान ने ताला तोड़कर फिर कमरों पर कब्जा कर लिया।
यहाँ बता दे की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का 131 साल पुराना मुस्लिम हॉस्टल 11 दिन से बंद है। इसी के कमरा नंबर-36 से पुलिस ने एक वकील सदाकत खान को उठाया था। पुलिस का कहना है कि सदाकत माफिया अतीक अहमद का गुर्गा है और 24 फरवरी को हुई उमेश पाल की हत्या में शामिल था।
सदाकत की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, इसके बावजूद वह हॉस्टल में गलत तरीके से रह रहा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद से हॉस्टल सील है। यूनिवर्सिटी में एग्जाम चल रहे हैं, लेकिन स्टूडेंट्स रेलवे स्टेशन या ग्राउंड में रात काट रहे हैं। उन पर ‘क्रिमिनल’ का ठप्पा लग गया है और शहर में कोई किराए पर कमरा भी नहीं दे रहा।
हॉस्टल को क्रिमिनल्स का अड्डा घोषित कर दिया गया है। यहां के 107 कमरों में 193 बच्चे रह रहे थे। 13 मार्च से एग्जाम शुरू हो चुके हैं, पर छात्रों के पास रहने की जगह नहीं है। किताबें भी हॉस्टल के कमरों में बंद हैं। सवाल यही है कि क्या सच में मुस्लिम हॉस्टल क्राइम का अड्डा बना हुआ था? क्या सभी छात्रों को इसकी सजा मिलनी चाहिए।
हॉस्टल में सन्नाटा, कमरों पर सीलबंद ताले
जवाब की तलाश में मैं पहुंचा प्रयागराज के कटरा। यहां इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की साइंस फैकल्टी के मेन गेट पर आजकल ताला लगा है। दाहिनी तरफ कुछ कदम चलने पर मुस्लिम हॉस्टल का बोर्ड नजर आने लगता है। गेट खुला है, सामने खाली मैदान है। मैदान के आखिर में एक बोर्ड लगा है, जिस पर जंग बहादुर मौलाना समीउल्ला खान गार्डन लिखा है।
इसी बोर्ड पर लिखा है कि मौलाना समीउल्ला खान ने इस हॉस्टल की स्थापना 1892 में की थी। इसी के बगल से मुस्लिम हॉस्टल शुरू हो जाता है। पुराने जमाने की शानदार बनावट वाली बिल्डिंग, इसके बंद लोहे के दरवाजों पर सरकारी सील वाले ताले लटके हैं। तारों पर कपड़े सूख रहे हैं, कमरों के बाहर साइकिल और कूलर पड़े हैं।
देखने से पता चलता है कि सदाकत के पकड़े जाने के बाद छात्र जल्दबाजी में निकल गए। 6 मार्च को भी पुलिस ने हॉस्टल खाली करने, सामान समेटने के लिए छात्रों को टाइम नहीं दिया। उन्होंने थोड़ा-बहुत सामान लिया और हॉस्टल छोड़ दिया। बंद कमरों में किसी की किताबें, तो किसी का एडमिट कार्ड छूट गया।
एक दरवाजे पर हॉस्टल प्रशासन का नोटिस भी लगा है। इस पर लिखा है ‘5 मार्च, 2023 को हॉस्टल प्राधिकरण की बैठक में फैसला किया गया है कि वर्तमान हालात को देखते हुए 6 मार्च, 2023 को सभी छात्र अपने सामान के साथ हॉस्टल खाली कर दें।’
यह नोटिस मुस्लिम हॉस्टल के वार्डन डॉ. इरफान अहमद खान की तरफ से लगाया गया है। हॉस्टल प्रशासन के मुताबिक, हॉस्टल सील करने के लिए SDM के साथ पुलिस और PAC के जवान आए थे। हॉस्टल प्रबंधन ने फिलहाल तय किया है कि बच्चों को ईद तक घर भेज दिया जाए।
हॉस्टल पर पुलिस तैनात नहीं, सुरक्षा का हवाला देकर खाली कराया
मुस्लिम हॉस्टल खाली कराने के पीछे प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था, लेकिन मैं वहां पहुंचा तो वहां सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात ही नहीं थी। मैंने आसपास के हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट से बात की, पता चला कि मुस्लिम हॉस्टल के सभी छात्र घर नहीं लौटे हैं।
हॉस्टल में रहने वाले छात्र DM ऑफिस के बाहर बैठे हैं। इन छात्रों की 13 मार्च से परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। कुछ स्टूडेंट ऐसे भी हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके पास रहने की जगह ही नहीं है।
मैं DM ऑफिस पहुंचा तो वहां छात्रों का एक ग्रुप दिखा। 40 से 50 बच्चे कंधे पर बैग टांगे भटक रहे थे। मैंने उनसे बात करने की कोशिश की, तो वे कैमरे पर आने से इनकार करने लगे। बोले- ‘पहले ही हमारा इतना नुकसान हो चुका है, अब ये देख लेंगे तो शायद कभी हॉस्टल में रहने ही न दें।’
इसी बीच एक लड़का गुस्से में बोलने लगा- ‘मीडिया ने हमारे हॉस्टल को ऐसे दिखाया, जैसे वहां सिर्फ बुरे लोग ही रहते हैं। हॉस्टल बंद हुआ है, तब से हम लोग कभी फुटपाथ पर तो कभी रेलवे स्टेशन पर सो रहे हैं । आप पूछ रहे हैं कि क्या दिक्कत है। क्या बताऊं क्या दिक्कत है। आप बता दो कहां रहें?’
लड़का गुस्से में बोलते हुए वहां से चला गया। बातचीत में पता चला कि हॉस्टल के वार्डन इरफान अहमद खान की DM के साथ मीटिंग चल रही है। छात्रों के मुताबिक, उन्हें मीडिया से दूर रहने की हिदायत भी दी गई है। इसी बीच इरफान मीटिंग से निकले, लेकिन तेजी से कार में बैठकर निकल गए।
छात्र नेता भी हॉस्टल बंद करने के विरोध में
छात्रसंघ भवन के गेट से घुसते ही फीस बढ़ाने के विरोध में सालों से धरना दे रहे स्टूडेंट नजर आते हैं। यहां मेरी मुलाकात छात्र नेता अजय यादव सम्राट से हुई । अजय पैरों में जूते और चप्पल नहीं पहनते हैं। उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक फीस बढ़ोतरी वापस नहीं होगी, तब तक वह पैरों में कुछ नहीं पहनेंगे।
अजय कहते हैं, ‘मुस्लिम हॉस्टल को पूरी तरह से बंद करने के पीछे की वजह समझ से बाहर है। इससे पढ़ने वाले बच्चों का नुकसान हो रहा है। ये सही है कि हॉस्टल में रह रहे अपराधियों की पहचान कर उन पर कार्रवाई हो, लेकिन इससे छात्रों का नुकसान नहीं होना चाहिए।’
अजय आगे कहते हैं- ‘इस हॉस्टल में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और कई प्रदेशों के छात्र रहते हैं। उनके पास शहर में कहीं और रहने का ठिकाना नहीं है। यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट के इस रवैये की वजह से छात्रों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।’
पिता किसान हैं, 6 महीने पहले ही पूरी फीस जमा की
यहीं मेरी मुलाकात काशान अब्बासी से हुई। काशान भी छात्र नेताओं से मदद मांगने के लिए छात्र संघ भवन आए थे। वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सेकेंड ईयर के छात्र हैं। काशान कहते हैं, ‘मुस्लिम हॉस्टल में मैंने 13 हजार रुपए फीस जमा की थी। अब अचानक से बोला गया कि हॉस्टल खाली कर दो। एग्जाम हैं, इसलिए हम लोग घर भी नहीं जा सकते। हॉस्टल की जगह कहीं और रहने का इंतजाम भी नहीं किया गया। हम रेलवे स्टेशन पर सो रहे हैं।’
काशान निराश होकर कहते हैं- ‘कुछ लड़कों ने कमरा किराए पर लिया था, लेकिन उन्हें वो कमरा भी छोड़ना पड़ा। मकान मालिक को पता चला कि हम लोग मुस्लिम हॉस्टल में रहते हैं, तो उसने किराया वापस कर हमें जाने के लिए बोल दिया। अब कोई कमरा नहीं दे रहा है। मेरे पिता किसान हैं। वही खर्च भेजते हैं। कॉलेज और कोचिंग की फीस भी भरते हैं। अगर हम यहां से चले जाएंगे तो क्लास के साथ कोचिंग भी छूटेगी।’
काशान के बाद मुझे आसिफ मिले। आसिफ मीडिया स्टडी के सेकेंड ईयर के छात्र हैं। कैमरे पर बोलने से मना कर देते हैं, कहते हैं- ‘पहले ही फ्यूचर का कुछ पता नहीं, और रिस्क नहीं ले सकते। रहने के लिए कोई जगह नहीं, यूनिवर्सिटी ने भी हमसे मुंह मोड़ लिया है। हर शाम सोने के लिए जगह ढूंढनी पड़ती है। घरवाले बुला रहे हैं, लेकिन क्लास छोड़कर कैसे चला जाऊं। अभी यह पता नहीं है कि कितना टाइम लगेगा।’
27 बच्चों ने फीस नहीं भरी, वे सभी क्रिमिनल नहीं
DM ऑफिस के बाहर हॉस्टल वार्डन इरफान अहमद से बातचीत करने की कोशिश की। उन्होंने भी कैमरे पर बात करने से इनकार कर दिया, बोले- ‘अभी हम बच्चों के लिए परेशान हैं। अधिकारियों के पास दौड़ रहे हैं।’
उधर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने मुस्लिम हॉस्टल से पल्ला झाड़ते हुए बयान जारी कर दिया है कि उसे ट्रस्ट चलाता है। इस पर इरफान कहते हैं- ‘ये हॉस्टल यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त है। बच्चे तो यूनिवर्सिटी में ही पढ़ रहे हैं, तो ऐसे कैसे कह रहे हैं कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।’
एक बहस ये भी है कि सदाकत किस पार्टी का करीबी है। BJP ने सदाकत की एक फोटो जारी की है जिसमें वो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर आ रहा है।
इस फोटो के जवाब में सपा ने भी सदाकत की कुछ तस्वीरें जारी की हैं। इनमें सदाकत BJP की पूर्व विधायक नीलम करवरिया के पति के साथ नजर आ रहा है। नीलम करवरिया प्रयागराज की मेजा विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं। सपा का कहना है कि सदाकत BJP का सदस्य था।