महाकाल मंदिर में दान राशि का हिस्सा पुजारी पुरोहितो को देने पर लोकायुक्त में हुई शिकायत
उज्जैन | के श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह, नंदी हाल और नवग्रह मंदिर की दान पेटियों में आने वाली राशि का 35 प्रतिशत हिस्सा 16 पुजारियों को दिया जाता है। दो साल में इन पुजारियों को मंदिर में आए दान में से एक करोड़ 80 लाख रुपए दिए गए हैं। यह मामला अब लोकायुक्त पहुंच चुका है। पुजारियों के साथ ही अभिषेक कराने वाले 22 पुरोहितों को गर्भगृह में एंट्री की राशि में से 75 प्रतिशत राशि दिए जाने को लेकर भी उज्जैन की सारिका गुरु ने लोकायुक्त में एक शिकायत की है। वही पुजारियों और पुरोहितो ने सारिका गुरु और उनके पति द्वारा झूठी शिकायत करने की बात कही है। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने भी समिति के निर्णय को सही ठहराया था।
महाकाल मंदिर के प्रकल्प दान की राशि से चलते हैं। देश-विदेश से महाकाल के दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह से लेकर नंदी हॉल में लगी 5 दान पेटियों में अपनी श्रद्धा अनुसार दान भेंट करते हैं। इन दान पेटियों को बारी-बारी से प्रतिमाह खोला जाता है। इनमें से निकलने वाली दान राशि का 65 प्रतिशत हिस्सा मंदिर समिति को और 35 प्रतिशत हिस्सा मंदिर के 16 पुजारियों को मिलता है। सारिका गुरु को इसी पर आपत्ति है। लोकायुक्त उज्जैन को की गई शिकायत में सारिका गुरु ने उल्लेख किया है कि साल 1985 से आज तक मंदिर के 16 पुजारियों को दान की राशि का 35 प्रतिशत हिस्सा दिया जा रहा है। इतनी दान राशि को 16 पुजारियों को बांटने को लेकर उन्होंने सवाल उठाया कि मंदिर एक्ट में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है तो फिर बीते 37 वर्षों से पुजारियों को महाकाल मंदिर से 35 प्रतिशत राशि किस आधार पर दी जा रही है। सारिका गुरु ने गर्भगृह पूजन से मिलने वाली 1500 रुपए की राशि में से 75 प्रतिशत मंदिर के 22 पुरोहितों को दिए जाने का भी विरोध किया है।
सारिका गुरु ने लोकायुक्त को जो शिकायत दर्ज कराई है, उसमें लिखा है कि महाकाल मंदिर एक्ट में भेंट पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को देने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद मंदिर प्रशासक, मंदिर समिति अध्यक्ष एवं पूर्व प्रशासक षड्यंत्र व सांठगांठ कर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और अवैध रूप से शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचा रहे हैं। यह मंदिर एक्ट का उल्लंघन है। ऐसे में सभी जिम्मेदारों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अभिषेक के लिए कटने वाली रसीद और गर्भगृह में दर्शन के लिए मिलने वाली राशि का 75 प्रतिशत पुजारियों और पुरोहितों को देने का वैधानिक प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद ये लोग अपने पद का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों के राजस्व की हानि पहुंचा रहे हैं। ये वही सारिका गुरु हे जिन्होंने महाकाल मंदिर में शिवलिंग क्षरण का मुद्दा उठाया था जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक को लेकर गाइडलाइन जारी की थी।
दूसरी और पुजारी राम गुरु ने बताया की सारिका गुरु द्वारा पूर्व में भी कोर्ट तक शिकायते की है जहा सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले मंदिर समिति द्वारा जो निर्णय लिए गए है उन्हें उचित ठहराया है। समिति द्वारा लिए निर्णय पर ही पुजारियों को मानदेय के साथ 35 प्रतिशत दिया जाता है।