मां काली का नौ फीट ऊंचा स्वरूप जगाता है आस्था और विश्वास
नगर प्रतिनिधि इंदौर
इंदौर के खजराना का काली मंदिर शक्ति के उपासकों के बीच आस्था का केंद्र है। यहां मां काली का नौ फीट ऊंचा नरमुंडों की माला पहना स्वरूप भक्तों के मन में आस्था और उल्लास जगाता है। चैत्र और शारदेय नवरात्र के अतिरिक्त दोनों गुप्त नवरात्र में यहां की रंगत देखते ही बनती है। हर दिन माता की साधना के लिए भक्तों का मेला लगता है।
मंदिर का निर्माण 1976 में हुआ था। उस समय राधेश्याम अग्रवाल (बापूजी) ने अपनी चार में तीन फैक्ट्रियां बेच थीं। इससे मिली राशि से मंदिर बनवाया था। यह स्थान तब अपेक्षाकृत छोटा था। इसके बाद एक भक्त हरिकिशन पाटीदार ने मंदिर के पास की जमीन दान दे दी। इसके चलते 1984 में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। 1991 में माता की नौ फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई। इससे पहले छोटी मूर्ति थी। वर्तमान में विराजित माता का स्वरूप जयपुर से आठ किलोमीटर दूर छितौली गांव से लाया गया था।
जरूरतमंदों की मदद भी की जाती है
इस मंदिर में शक्ति की उपासना के साथ जरूरतमंदों की मदद भी की जाती है। रेलवे स्टेशन से करीब 7.5 किमी दूर स्थित मंदिर शहर के ख्यात खजराना गणेश मंदिर के पिछले द्वार के सामने स्थित है। माता का 101 लीटर दूध से महामस्तकाभिषेक कर बस्तियों में गरीब बच्चों को प्रसाद के रूप में वितरण करते हैं। मनोहारी शृंगार किया जाता है।
मंदिर में पारदेश्वर महादेव भी
काली माता मंदिर के आचार्य शिवप्रसाद तिवारी का कहना है कि मंदिर में मुख्य आकर्षण माता की नौ फीट ऊंची मूर्ति है। ऐसी बड़ी मूर्ति देश के कुछ ही मंदिरों में है। यहां पारदेश्वर महादेव भी प्रतिष्ठित है। इनकी स्थापना 1989 में की गई थी।
साधना से कष्ट दूर होते हैं
मंदिर के भक्त समर्थ मित्तल बताते हैं कि मां काली धर्म की रक्षा और राक्षसों के विनाश के लिए अवतरित हुईं। उनकी साधना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और भक्त भय मुक्त होकर आनंद का अनुभव करता है। उनकी कृपा से व्यक्ति अपने कष्टों को दूर करने में सक्षम बनता है।