पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा के पहले दिन बताया अवन्तिका का महत्व

उज्जैन में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा शुरू, पहले दिन अवन्तिका का महत्व बताया…

दैनिक अवन्तिका उज्जैन।
आज मंगलवार को उज्जैन के बड़नगर रोड मुरलीपुरा पर सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की। शिव पुराण कथा शुरू हुई।
पहले दिन पंडित मिश्रा दोपहर में कथा स्थल पर पहुंचे। व्यास पीठ पर बैठकर सर्वप्रथम श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल सहित जनप्रतिनिधियों ने पंडित मिश्रा का स्वागत, अभिनंदन किया। कथा के पहले दिन पंडित मिश्रा ने उज्जैन अवन्तिका महाकाल की नगरी का महत्व बताया। राजा भर्तृहरि, विक्रमादित्य की कथा प्रसंग सुनाए। महाराज ने कहा ये मोक्ष की नगरी भी है। कथा सुनने के लिए पूरा पांडाल पहले दिन ही लाखों भक्तों की भीड़ से पट गया।
पांडाल के बाहर तक लोग जमा रहे।

उज्जैन में महाकाल और विक्रमादित्य पर सुना रहे कथा…

पंडित प्रदीप मिश्रा ने पहले जब बुरहानपुर में कथा की थी, उस समय उन्होंने शिव महापुराण के दौरान अश्वत्थामा को लेकर कई ऐसी कथाएं सुनाई थी, जो पहले श्रद्धालुओं को सुनने को नहीं मिली थी, जबकि उज्जैन में चल रही कथा में वे भगवान महाकाल और सम्राट विक्रमादित्य से जोड़कर कई रोचक कथाएं सुना रहे है।

हर घंटे बढ़ती गई श्रद्धालुओं की भीड़, महिलाओं की संख्या अधिक
पंडित प्रदीप मिश्रा जहां भी कथा सुनाते हैं, वहां पर अलग-अलग रोचक कथाएं सामने आती है। इन्हीं कथाओं को सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार उमड़ती है। उज्जैन में कल से आज तक मे हर घंटे भीड़ बढ़ रही है।

पंडित मिश्रा की कथा की झलकियां…

– कथा सुनने के लिये देश भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन दो दिन पहले से शुरू हो गया था।
– खास बात यह कि कथा पंडाल में लोगों ने जगह रोकना शुरू किया और अपने स्थान पर ही भजन कीर्तन कर समय व्यतीत          करते हुए वहीं भोजन किया और रात में सो गये।
– आज दोपहर 12 बजे तक मुख्य कथा पांडाल के अलावा आसपास के दो अन्य पांडाल भी पूरी तरह फुल हो चुके थे और बड़ी      संख्या में लोग कथा पांडाल के बाहर खड़े नजर आ रहे थे।
– मुल्लापुरा मार्ग कथा स्थल की ओर जाने वाले मार्गों पर बड़े वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है।
– सुबह लालपुल ब्रिज से वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया।
– उजरखेड़ा हनुमान मंदिर की तरफ वाहन पार्किंग कराए गए। कई लोगों ने खेतों में अपने वाहन खड़े किये और पैदल ही कथा        स्थल की ओर रवाना हो गए।
– कथा पांडाल के आसपास स्वयंसेवी संस्थाओं ने चाय-पोहा नाश्ते का इंतजाम किया है। सुबह 11 बजे तक यहां स्टाल लगाकर      लोगों को नाश्ता कराने के बाद स्टॉल खाली कर दिया गया।
– 50 बाय 200 फीट की भोजनशाला में लोगों का भोजन शुरू हुआ। दो तरफ भोजन काउंटर होने से भीड़ अधिक होने के बाद      भी स्थिति नहीं बिगड़ी। दाल, चावल, सब्जी, पुड़ी, हरी चटनी भोजन में परोसी जा रही थी। भोजन के बाद लोग स्वयं बर्तन साफ कर काउंटर पर जमा भी करा रहे थे।
– पीने के पानी के लिये पीएचई द्वारा कथा स्थल के आसपास पाइप लाइन बिछाकर नल लगाये गये हैं। नगर निगम द्वारा इन नलों    के आसपास गिट्टी चूरी नहीं डाली गई इस कारण कीचड़ हो रहा है। वहीं आयोजकों ने ठंडे और शुद्ध पानी के केम्पर भी रखे गये    हैं।
– मुख्य कथा पांडाल के अलावा आसपास दो अन्य पांडाल भी बने हैं। लोगों द्वारा कथा मंच को ठीक से नहीं देख पाने को         मद्देनजर रखते हुए समान दूरी पर प्रत्येक पंडाल में 6-6 बड़ी एलईडी लगाई गई हैं।
– कथा सुनने के लिए बच्चों से लेकर वृद्ध तक में जमकर उत्साह है। आस्था, भक्ति लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे है।
– शिव महारापुराण सुनने के लिये उज्जैन के लोगों के घरों में भी मेहमानों का बड़ी संख्या में आगमन होने लगा है।
– लोग पं. मिश्रा की कथा सुनने के साथ ही महाकाल लोक देखने और उज्जैन दर्शन करने भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं जिस     कारण प्रमुख मंदिरों की दर्शन व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है।