श्रीमद् भागवत कथा में भक्तों से खचाखच भरा पांडाल

अकोदिया मंडी। नगर के हनुमान मंदिर स्थित मैदान में चल रही श्रीमद भागवत कथा का आयोजन मंगलवार को अनूठे विवाह का साक्षी बना। जब भगवान द्वारिकाधीश संग माता रूखमणी का विवाह हुआ। इस आयोजन में घराती और बारातियों ने वर-वधु को आशीर्वाद देते हुए मंगलमय वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं दी।
कथा के दौरान दो बालिकाओं को द्वारिकाधीश और माता रूखमणी का रूप दिया गया, जिन्हें पुष्पमालाओं सहित वर-वधु के रूप में सजाकर मंच पर लाया गया। इसके बाद शुरू हुआ विवाह, जिसमें बारातियों और घरातियों ने ढोल-ढमाकों की थाप पर नृत्य कर विवाह की खुशियां मनाई। विवाह के बाद भगवान द्वारिकाधीश और माता रूखमणी का आशीर्वाद लिया और गृहस्थी का सामन भेंट कर विवाह संपन्न किया। इस अनूठे विवाह के साक्षी बनने पिछले दिनों की अपेक्षा दोगुने लोग कथा पांडाल में उपस्थित हुए थे जिसके चलते लोगों को पैर रखने की भी जगह नहीं मिली।
तन पर अटेक आए तो मौत, मन पर आए तो मोक्ष- पं. गोविंद जाने
मंगलवार को कथा का वाचन करते हुए पं. गोविंद जाने ने कहा कि तन अकेले यात्रा नहीं करता है उसके साथ मन भी यात्रा करता है। लेकिन यात्रा के दौरान हम यदि बद्रीनाथ, महाकाल, वैष्णोदेवी या कहीं भी यात्रा करें तो तन तो हमारा वहां रहता है, लेकिन हमारा मन किसी रिश्तेदार या चाय की दुकान, किसी मिठाई की दुकान पर रहता है। तन से ज्यादा गति मन की होती है। मन को वश में रखना जरूरी है। इसलिए मन को मनमोहन से जोड़ दो। यदि आपने ऐसा कर लिया तो फिर मन कहीं नहीं भटकेगा वह मन मोहन के श्री चरणों में ही रहेगा। फिर आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं। घर बैठे आपका मन आपको बद्रीनाथ, केदारनाथ, वैष्णोदेवी और महाकाल की यात्रा करवा देगा। उन्होंने कहा कि यदि तन को अटैक आता है तो उससे मौत हो जाती है, लेकिन यदि मन को अटैक आ जाए तो उसे मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि मन तन से कई गुना पावरफुल होता है। उन्होंने कहा कि तन और मन भले ही साथ रहते हों, लेकिन तन हमारे साथ होता है परंतु मन भटकता रहता है। जिसने मन को वश में कर लिया और मन को भगवान को चढ़ा दिया तो फिर वह चिंतन नहीं केवल पूजन करता है। यदि हमने मन को प्रभु के श्री चरणों में रख दिया तो वह महात्मा बना देता है। इसलिए हर समय प्रभु का चिंतन करो, उससे जुड़े रहो। इससे आपके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा।

Author: Dainik Awantika