उज्जैन विद्युत मंडल में एक भ्रष्ट साहबान का अवैध वसूली अभियान, सभी हलाकान

छोटी-छोटी गलतियां निकाल मातहतों को पहले नोटिस, फिर स्टेनो के माध्यम से लेनदेन के इशारे…आम लोगों के भी पहले काम अटकाओ, फिर माल कमाओ

उज्जैन। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल में एक बड़े भ्रष्ट अधिकारी की शह पर विद्युत मंडल के मातहत अधिकारियों- कर्मचारियों ही नहीं बल्कि आम जनता से भी जमकर लूट खसोट मची हुई है। इस भ्रष्ट अधिकारी ने अपने ही मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों को भी नहीं छोड़ा है और उनसे भी वसूली करने का नया तरीका निकाल रखा है। तरीका कुछ इस तरह है कि किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की छोटी सी भी चूक या गलती निकालकर तुरंत लिखित में नोटिस थमा दिया जाता है। इसके बाद बड़े अफसरों में से एक इस भ्रष्ट अधिकारी के स्टेनो द्वारा लेन-देन का इशारा करते हुए साहब से मिलने के लिए कहा जाता है। चर्चा तो यहां तक है कि स्टेनो इस भ्रष्ट बड़े अफसर का सारा खेल जमा देता है। दरअसल, जबसे विद्युत मंडल का निजीकरण हुआ है, तब से एक तरह से यह निजीकरण का ड्रा बेक ही चल रहा है।

आम जनता से भी वसूली के नए-नए तरीके

आम जनता से भी भ्रष्टाचार के नए-नए तरीके ईजाद कर रखे हैं। किसी को डीपी लगवाना है या किसी की कोई और विद्युत समस्या है तो इस भ्रष्ट अधिकारी के इशारे पर आवेदन तथा अन्य दस्तावेजों में कहीं ना कहीं कोई कमी निकाल दी जाती है और इस तरह लोगों के काम अटका दिए जाते हैं। जब विद्युत उपभोक्ता अपनी समस्या के लिए संपर्क करता है तो उसे लेनदेन का इशारा करते हुए साहब से मिलने के लिए कह दिया जाता है। जब तक वह कुछ भेंट नहीं चढ़ाता, तब तक वह इस टेबल से उस टेबल तक भटकता ही रहता है।

निजीकरण का दंश : अब नेताजी भी नहीं फटकते

निजीकरण का दंश कुछ इस तरह है कि अब नेताजी भी उस तरफ नहीं फटकते ,क्योंकि उन्हें भी मालूम है कि उनके काम होंगे नहीं और इज्जत की इकन्नी होगी सो अलग।

समस्या बहुत है परंतु उसका हल बताने वाला कोई नहीं

मनमाने बिल भी दिए जा रहे हैं, परंतु उनकी समस्या हल करने वाला कोई नहीं। दरअसल हो यह रहा है कि किसी भी समस्या के लिए जब उपभोक्ता विद्युत मंडल पहुंचता है तो उसे उसकी पचासों कमियां गिना दी जाती हैं, लेकिन उसका हल क्या होगा? कैसे होगा? किस अधिकारी के पास पहुंचना है? क्या प्रक्रिया है? यह कोई नहीं बताता। जिसके कारण आम उपभोक्ता परेशान होता रहता है।

काम करवाने के लिए “पिछला दरवाजा” बना मजबूरी

समझा जाता है कि जब व्यक्ति ज्यादा परेशान होगा तो “पीछे के दरवाजे” से ही अपनी समस्या का हल करवाना उसकी मजबूरी होगी।…और यही तो चाहता है वह बड़ा भ्रष्ट अफसर। जिसने विभागीय कर्मचारियों और आम उपभोक्ताओं को किसी न किसी तरह प्रताड़ित कर अपना वसूली अभियान चला रखा है।

सुरक्षा कानून की आड़ में लूट खसोट

विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक मुश्किल यह भी है कि भ्रष्ट अधिकारी और उसके चहेते स्टाफ की बात हर हालत में माननी ही है। उपभोक्ता थोड़ा भी तेज आवाज में नहीं बोल सकता, वरना सुरक्षा कानून के दायरे में उसे उलझाया जा सकता है। उस पर शासकीय कार्य में बाधा के तहत भादवि धारा 353 के तहत भी प्रकरण दर्ज हो सकता है। इस तरह के कानून का सहारा लेकर उज्जैन के विद्युत मंडल में इस बड़े भ्रष्ट अधिकारी के इशारे पर उनके चहेते जमकर लूट खसोट मचाए हुए हैं।