शबे कद्र की रात को लोगों ने रात भर जागकर की खुदा की इबादत

बिछड़ौद। रमजानुल मुबारक महीने के आखरी असरे की 27वीं शबे कद्र मस्जिद में बुधवार की रात बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई गई। मस्जिद को बहुत रंग बिरंगी बिजली की रोशनी से सजाया गया था। इस माह कुरान पाक नाजिल हुआ था। रमजान माह में रात्रि के समय पढ़ी जाने वाली तराहबी के पूरा होने पर शबे कद्र मनाई जाती है जो 21 वीं शबे कद्र से लेकर 29वीं शबे कद्र तक रहती हैें यह वह रात है जिसे लयलतुल कद्र शबे कद्र की रात कहते है। मस्जिद में तरावीह पढ़ा रहे हाफिज मुफ्ती हाशिम मझाहिरि को मस्जिद के सदस्यों द्वारा नजराना देकर उनका तहेदिल से सम्मान किया गया। इस शबे कद्र के मौके पर हाफिज मुफ्ती हाशिम मझाहिरि ने अपने बयान में लोगों को जागरूक करते हुए कहा है कि यह रात हजार महीनों से अफजल है। इस रात में जो भी सोते जागते अल्लाह त आला की इबादत और तिलावत करता है तो उसे 83 साल की इबादत करने का सबाब मिलता है े वही इस गर्मी में भी नन्हें मुन्ने बच्चे भी पीछे नहीं रहे नन्हें मुन्ने बच्चों ने भी तेज धूप व भीषण गर्मी में रोजा रखकर अल्लाह की इबादत में मशगूल और पांचों वक्त की नमाज भी अदा कीे बताते चलें कि रमजान का पवित्र महीना रहमतों बरकतों का महीना है रोजा हर मुसलमान मर्द, औरत व बालिक पर फर्ज हैें इसलिए इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं तथा ज्यादा से ज्यादा इबादत करने में मशगूल रहते हैें शहर के 6 वर्ष बालक अयान पिता मोहम्मद जाहिद और अखलाक पिता शाकिर खान ने और समाज के अन्य बच्चे-बच्चियो ने जिंदगी का पहला रोजा रखो फरहान बैग ने बताया कि रमजान के पवित्र महीना मैं सभी मुसलमानों को रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करनी चाहिए क्योंकि यह महीना सर्ब का होता है पवित्र माह रमजान के महीने में रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करने से इंसान अपने आप को अल्लाह के करीब पाता हैे।