श्रावण में राजसी ठाट पर कोरोना में छोटे मार्ग से निकले महाकाल
– हजारों लोग उज्जैन में उमड़े पर सीधे सवारी नहीं देख पाए
– प्रशासन ने दूर सड़कों पर ही बेरिकेड्स लगाकर भीड़ को रोका
– देश-विदेश के लाखों लोगों ने लाइव ही देखी पहली सवारी
उज्जैन। श्रावण मास में भगवान महाकाल सोमवार को राजसी ठाट से सवारी के रूप में निकले पर कोरोना से सुरक्षा के कारण प्रशासन ने सवारी छोटे परिवर्तित मार्ग से निकाली। श्रावण मास का पहला सोमवार होने से देशभर से हजारों की संख्या में लोग उज्जैन में उमड़े पर वे सीधे सवारी नहीं देख पाए।
क्योंकि लोगों की भीड़ को पुलिस ने सवारी मार्ग से काफी दूर ही बेरिकेड्स लगाकर रोक दिया था। प्रशासन ने पूर्व से ही सवारी में आम श्रद्धालुओं के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके चलते देश-विदेश में रह रहे लाखों श्रद्धालुओं ने सोशल मीडिया के जरिए ही बाबा महाकाल की सवारी का घर बैठे लाइव प्रसारण देखा। पहली सवारी में राजा महाकाल चांदी की पालकी में बैठकर मनमहेश रूप में निकले। हालांकि सवारी मार्ग पर जिन लोगों के मकान थे उन्होंने व उनके यहां पहले से जमा लोगों ने जरूर सवारी मार्ग से देखी।
सभामंडप में आरती-पूजा के बाद कलेक्टर-एसपी ने उठाई पालकी
दोपहर में करीब 3 बजे मंदिर के सभामंडप में सवारी का पूजन शुरू हुआ। पुजारी घनश्याम गुरु ने मनमहेश के चांदी के मुखौटे का पूजन व आरती की। इसके बाद कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने भगवान महाकाल का पूजन कर अशीर्वाद लिया व पालकी को कन्धा देकर उठाया व नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। बाहर परंपरा अनुसार पुलिस के जवानों ने बाबा को सलामी दी और राजाधिराज महाकाल नगर की प्रजा का हाल जानने निकल पड़े। सवारी में आगे पुलिस का बैंड, घुड़सवार दल, पुलिस जवानों की टुकड़ी व मंदिर के पंडे-पुजारी पालकी के साथ महाकाल का उद्घोष करते पदैल चल रहे थे।
रंगीन छतरी, ध्वजों से सजावट शिप्रा पूजन, हरसिद्धि से मिलन
सवारी मार्ग पर लाल कारपेट बिछाया गया, रंग-बिरंगी छतरियों, ध्वजाओं, रंगोलियों, फूलों की सजावट की गई तो कई जगह आतिशबाजी भी हुई। सवारी महाकाल मंदिर से निकलकर बड़े गणेश मंदिर के समाने से होकर रूद्रसागर, नृसिंहघाट रोड से होते हुए रामघाट के समीप राणौजी की छतरी के सामने घाट पर पहुंची जहां पुजारियों ने शिप्रा के जल से महाकाल का पुजारी आशीष गुरु आदि ने अभिषेक-पूजन किया। पूजन में मेला प्राधिकरण अध्यक्ष माखन सिंह चौहान भी मौजूद थे। यहां से सवारी रामानुजकोट होते हुए हरसिद्धि मंदिर के सामने पहुंची जहां हरसिद्धि के पुजारी राजू गुरु गोस्वामी, रजत गोस्वामी, प्रबंधक अवधेश जोशी आदि ने परंपरागत रूप से आरती-पूजन किया। यहां महाकाल का हरसिद्धि का अद्भुत ही मिलन हुआ। यहां से सवारी पुन: महकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई।