बच्चादानी पर 6 किलो की गठान लेकर घूम रही थी महिला, ऑपरेशन कर निकाली

बेटी का दूध छूटने और फिर से मां नहीं बनने के डर में गुजारे दो साल; फिर से बन सकेगी मां

इंदौर। एक महिला ने मां का फर्ज और परिवार की उम्मीद पूरी करने के लिए जिंदगी मौत के मुंह में डाल दी। पता होने के बावजूद वह बच्चादानी पर गठान लिए जीती रही। जब गठान तरबूज के बराबर (छह किलो) की हो गई, तब पिछले हफ्ते आखिरकार उसे निकाला गया। महिला सही सलामत है। दरअसल, दो साल पहले जब महिला दूसरी बार गर्भवती हुई थी तो बच्चादानी पर गठान होने का पता चला। डॉक्टर्स ने तब ऑपरेशन करना जच्चा-बच्चा के लिए खतरनाक बताया था। डिलीवरी के बाद भी डेढ़ साल तक उसने गठान का ऑपरेशन क्यों नहीं कराया?
महिला ने बताया कि पहली बेटी बड़ी हुई तो दूसरी संतान के लिए परिवार को चाहत होने लगी। यह भी इशारा था कि बेटा हो जाए तो परिवार पूरा हो जाए। जब पहली बेटी सात साल की हो गई तो मैं दूसरी बार की गर्भवती हुई। दो साल पहले प्रेग्नेंसी के वक्त सोनोग्राफी कराई तो पता चला कि बच्चादानी पर एक गठान है जो बढ़ गई है। तब मैं छह महीने की गर्भवती थी।
डॉक्टर ने साफ कह दिया कि डिलीवरी का वक्त करीब आ गया है इसलिए गठान अभी नहीं निकाल सकते। मां और होने वाले बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है।
गठान और ऑपरेशन का नाम सुनकर मेरे मन में डर बैठ गया था। एक वजह यह भी कि मैंने ज्यादा उम्र में गठान होने की बात सुनी थी लेकिन इतनी कम उम्र में किसी का गठान होना सुनकर अजीब लगा।
तीन डॉक्टरों को बताया तो उन्होंने जांचें की और कहा कि गठान बढ़ती जा रही है। उसे निकालना होगा, यह सुनकर मैं और डर गई। मैंने डॉक्टरों को अपनी आपबीती सुना दी कि मेरी बेटी छोटी है। यदि ऑपरेशन करा लिया तो बेटी का दूध छूट जाएगा। बच्चादानी को भी खतरा बता रहे हैं तो दो बेटियों के बाद बेटे के लिए ख्वाहिश हुई तो क्या करूंगी।
मैंने फिर ऑपरेशन टाल दिया। इस कश्मकश में दर्द और गठान बढ़ती चली गई।
जब दर्द असहनीय हो गया तो डॉक्टर से फिर यह कहकर मिलीं कि कोई ऐसा उपाय कीजिए कि गठान भी निकल जाए और बच्चादानी भी सलामत रहे। फिर से सभी जांचें कराईं तो डॉक्टर ने देखकर कहना पड़ा कि छह किलो की गठान लेकर तुम जी कैसे रही हो? अंतत: डॉक्टर ने जटिल ऑपरेशन कर मेरे पेट से छह किलो वजन की तरबूज जैसी गठान निकाल दी। बच्चादानी निकालने की नौबत नहीं आई। अब मैं फिर एक बार मां बन सकती हूं। यही संतोष है।