साइबर क्राइम का नया ट्रेंड- ड्रग्स केस में फंसाने की धमकी दे मेडिकल छात्रा से 18 लाख ठगे
नौ डिजिट के नंबर से इंटरनेट कालिंग, कस्टम्स और पुलिस कमिश्नर बन छात्रा को उलझाया
इंदौर। साइबर क्राइम का नया ट्रेंड सामने आया है। अपराधियों तक आधार कार्ड का डेटा पहुंच चुका है। शहर के नामी डॉक्टर दंपति की बेटी को इसी तरह ठगा गया है। बड़े मेडिकल कालेज में पढ़ने वाली इस युवती का आधार कार्ड हासिल कर लिया गया था। उसको ड्रग्स केस में फंसाने की धमकी दी और 18 लाख रुपये खाते में जमा करवा लिए। हालांकि एक्शन में आई साइबर सेल ने फर्जी खातों को फ्रीज कर राशि बचा ली है।
एसपी (साइबर) जितेंद्र सिंह के मुताबिक, 21 अप्रैल को छात्रा के पास नौ डिजिट के नंबर से एक काल आया था।जैसे ही उसने काल रिसिव किया रिकार्डेड वाइस सुनाई दी। छात्रा को कम्प्यूटराइज्ड़ आवाज सुनाई दे रही थी।उसको नाम बताया और कहा कि फेडेक्स का एक पार्सल मुंबई कस्टम विभाग ने रोक लिया है। पार्सल ताइवान से आया है और उसमें ड्रग्स मिला है। मुंबई पुलिस उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर चुकी है। छात्रा से मुंबई पुलिस के कथित इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस कमिश्नर तक से बात करवा दी गई।
अधिकारी बन बात करने वाले व्यक्ति ने छात्रा की काउंसलिंग की और कहा, आपके आधार कार्ड का दुरुपयोग हो रहा है। आधार कार्ड की गोपनीय जानकारी माफिया और मनी लांड्रिंग करने वाले गिरोह तक पहुंच चुकी है।आरोपियों ने छात्रा को स्काइप आईडी भेजी और वीडियो काल कर बैंक स्टेटमेंट व अन्य जानकारी ले ली। उससे कहा कि उसका खाते का अवैध गतिविधियों में उपयोग हो रहा है, इसलिए उसे सैनिटाइज करना होगा। वरना उन सभी की गिरफ्तारी होगी जिनके द्वारा रुपयों का लेनदेन किया जा रहा है। उसके माता-पिता भी इसमें गिरफ्तार हो सकते हैं।
खाता सैनिटाइज करने का आश्वासन दिया और कहा कि इस वक्त जितनी भी राशि खाते में जमा है वह उनके द्वारा दिए खाते में ट्रांसफर कर दे। इस राशि को भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया से सत्यापित करवा कर वापस कर दी जाएगी। छात्रा ने एनईएफटी से 18 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। जैसे ही जालसाजों के पास इतनी बड़ी राशि पहुंची, उन्होंने सारे मोबाइल बंद कर लिए।