समलैंगिक विवाह कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे सामाजिक संगठनों के लोग
देवास। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचाराधीन समलैंगिक मनुष्य के विवाह को मान्यता नहीं देने हेतु सर्व समाज जागरण मंच के आह्वान पर आम जनमानस एवं सामाजिक संगठन के लोग शुक्रवार को एक रैली के रूप में मण्डुक पुष्कर ज्ञापन स्थल पर पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक शर्मा को सौंपा गया। सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग में सुनवाई चल रही है। इस संदर्भ में पूरे देश में असंतोष व्याप्त है। भारत में रहने वाले सभी मनुष्य सभी मुख्य धर्मों के धर्मावलंबी इस सुनवाई के विरोध में विचार व्यक्त कर चुके हैं। किसी भी धर्म के अनुसार समलिंग विवाह की कोई व्यवस्था नहीं है। फिर भी इस तरह की सुनवाई का क्या? औचित्य। इस प्रकार की चर्चा भारतीय उच्च संस्कारों एवं परंपराओं के आदर्शवादी वातावरण को दूषित करती नजर आ रही है। जबकि विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह हमारी गौरवशाली प्राचीन सभ्यता का परिचालन भी है। जबकि कानून बनाने का अधिकार विधायिका लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, आदि के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की बहस के बाद बहुमत के आधार पर किसी प्रकार का निर्णय होता है। भारत ही नहीं सभी एशियाई देशों में विवाह कानूनी कांटेक्ट नहीं अपितु संस्कार है। यह दो शरीरों का मिलन नहीं,दो परिवारों का विस्तार है। यह भारत की परिवार व्यवस्था ही है। जिसके कारण सैकड़ों विदेशी आक्रमण- आघातों के बाद भी भारतीय परंपरा व संस्कृति जीवित है। सर्वोच्च न्यायालय की इस प्रकार और ऐसे दूषित विषय को लेकर की जा रही जल्दी-जल्दी सुनवाई राष्ट्रहित से परे दिखाई पड़ती है। जबकि और भी देश हित मे महत्वपूर्ण निर्णय होना सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है उस पर जल्दी-जल्दी सुनवाई क्यों नही कर पा रहे। इस प्रकार की चर्चा भारतीय उच्च संस्कारो एवं परंपराओं के आदर्शवादी वातावरण को दूषित करती है। यही कारण है कि संपूर्ण देश में इस सुनवाई का विरोध हो रहा है। शुक्रवार को सर्व समाज जागरण मंच के द्वारा स्थानीय जवाहर चौक से शाम 4 बजे बारिश के दौरान भी एक रैली निकालकर पर ज्ञापन दिया।