गायत्री महायज्ञ में 34 बहिनों का पुंसवन संस्कार सम्पन्न
तराना। देवमानव, महामानव गढ़ने के लिए भारत में ॠषि प्रणीत संस्कार परंपरा है। भारतीय संस्कार परंपरा में का प्रचलित प्रथम संस्कार पुंसवन संस्कार कहलाता है। इसको मां को गर्भ की पुष्टि हो जाने के तुरंत बाद किया जाना चाहिए। इसमें गर्भवती को आहार-विहार तथा परिवार और समाज के आचरण का शिक्षण के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु के समुचित विकास के लिए शिक्षण समाहित किया गया है। गर्भ के अंतिम 7 माह में शिशु का अधिकांश विकास हो जाता है। इसलिए यह 7 माह पूरे जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए गर्भवती और परिजनों को इन दिनों विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
जानकारी ग्राम करंज में चल रहे 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तृतीय दिवस में आयोजित गर्भोत्सव, पुंसवन संस्कार कराते हुए शांतिकुंज हरिद्वार के सह टोली नायक डॉ.डी पटेल ने दी। यहां पर 34 गर्भवती बहनों के पुंसवन संस्कार क्रम में औषधि अवघ्राण, गर्भ पूजन, आश्वासन चरू (अभिमंत्रित खीर से आहुतियां देकर प्रसाद स्वरूप पाना) प्रदान आदि क्रम संपन्न कराए गए?। यहां पर नामकरण, अन्नप्राशन, विद्यारंभ संस्कार भी संपन्न हुए। शनिवार को सुबह 8 बजे गायत्री महामंत्र की दीक्षा तथा दोपहर 12 यज्ञ की पूणार्हुति एवं अनुयाज संकल्प होगा। आयोजन समिति ने सभी ग्राम और क्षेत्र वासियों से अपील की है कि जिन्होंने अभी तक यज्ञ में भागीदारी नहीं की है अवश्य पधारें और एक भगवान को अपने हाथ से आहुतियां समर्पित करें। जानकारी दिनेश बैरागी सदस्य आयोजन समिति गायत्री महायज्ञ करंज ने दी।