घुटने के दर्द से परेशान 153 मरीजों का चयन प्रत्यारोपण के लिए किया
स्वर्णिम फाउंडेशन, श्वेतांबर जैन महिला संघ केंद्रीय इकाई, यूनिक चेरिटेबल ट्रस्ट एवं आरोग्य भारती के तत्वावधान में आयोजित नि:शुल्क शिविर का शुभारंभ
दैनिक अवन्तिका इंदौर
स्वर्णिम फाउंडेशन, श्वेताम्बर जैन महिला संघ केंद्रीय इकाई, यूनिक चेरिटेबल ट्रस्ट एवं आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नि:शुल्क घुटना प्रत्यारोपण शिविर का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी, समाजसेवी वीरेन्द्रकुमार, रेखा जैन एवं अस्थिरोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद पी. नीमा एवं अध्यक्ष विवेक जैन ने किया।
मुख्य अतिथि शंकर लालवानी ने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण शिविर है जो घुटनों के दर्द से पीड़ित लोगों को सही उपचार प्रदान करने के लिए आयोजित किया गया है। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने कहा कि घुटनों का दर्द आज के समय में एक बहुत ही आम समस्या है और इससे पीड़ित लोगों को नि:शुल्क घुटना प्रत्यारोपण किया जा रहा है वो उन लोगों के लिए बड़ी मदद होगी जो असहनीय वेदना झेल रहे हैं ।
वीरेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि पिछले 5 शिविरों के माध्यम से हम 500 से अधिक मरीजों का नि: शुल्क घुटना प्रत्यारोपण करवा चुके हैं और आज का लक्ष्य था 108 मरीजों का किंतु 216 रजिस्ट्रेशन हुए हैं उसमें से 153 मरीजों का चयन कर लिया गया है। चार माह पश्चात पुन: घुटना प्रत्यारोपण शिविर लगाएंगे। घुटना प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद पी नीमा ने बताया कि उच्च क्वालिटी के कृत्रिम घुटनों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने ने मरीजों को प्रत्यारोपण के पहले एवं बाद में एहतियात बरतने की सलाह दी। स्वागत उद्बोधत देते हुए फाउन्डेशन के अध्यक्ष विवेक शारदा जैन ने बताया कि सभी मरीजों की नि:शुल्क जाँच कर घुटना प्रत्यारोपण एक मई से प्रारंभ हो गया है। प्रतिदिन दो तीन मरीजों की सर्जरी होगी। उनकी दवाइयों सहित खाने-पीने की भी व्यवस्था अस्पताल में की गई है। कार्यक्रम का संचालन श्वेतांबर महिला संघ की संस्थापक अध्यक्ष रेखा जैन ने किया। आभार शकुंतला पावेचा ने माना। इस अवसर पर डॉ. लोकेश जोशी, मंजू घोडावत, विजया जैन एवं कल्पना पटवा आदि उपस्थित थे।
घुटनों के दर्द की वजह से मरीज बहुत तकलीफ में
83 वर्षीय मानसिंह गांग 7 वर्षों से घुटनों से बहुत परेशान हैं। 100 मीटर दूर मंदिर है फिर भी जाने आने में दो बार बैठना पड़ता है। बैठना उठना भी मुश्किल भरा है। एक बेटा दुनिया छोड़कर चले गया है। अथार्भाव की वजह से अभी तक घुटना प्रत्यारोपण नहीं करवा पाया हूं।
79 वर्षीय निर्मला पांडे आर्थिक कमजोरी की वजह से पिछले तीन वर्षों से असहनीय वेदना की शिकार हैं। एक बेटे का एक्सीडेंट हो गया है। चलना दूभर है। लेटने में दर्द होता है। हमेशा कमर दर्द बना रहता है। बगैर सहारे के उठना बैठना मुश्किल है। श्रीमती सेठी के पति की मृत्यु वर्षों पूर्व हो चुकी है और 15 वर्षों से भाई के साथ रहती हैं और भाई स्वयं भी घुटनों की पीड़ा से पीड़ित हैं। भाभी का डायलिसिस चल रहा है। अत: मेरा घुटना प्रत्यारोपण के लिए अर्थ व्यवस्था नहीं है। स्वर्णिम फाउंडेशन एवं सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से मेरा घुटना प्रत्यारोपण हो रहा है तो शेष जीवन मैं अच्छे से बगैर तकलीफ के जी सकूँगी। शिविर में इंदौर, मंदसौर, शिवपुरी, भोपाल, खण्डवा, बड़वानी, नीमच, बुरहानपुर सहित छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से भी बड़ी संख्या में मरीज आए।