कमलनाथ और शेरा के बीच पक रही खिचड़ी ने खंडवा में अरुण यादव का बिगाड़ा खेल

पूर्व केंद्रीय मंत्री की भोपाल से आस खत्म, अब दिल्ली का ही सहारा
ब्रह्मास्त्र इंदौर। खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव अब तक अपने आप को प्रबल और एकतरफा दावेदार मान रहे थे। कांग्रेस में भी माना जा रहा था कि फिलहाल पार्टी के पास उनका कोई विकल्प नहीं है। यादव एक मजबूत दावेदार के रूप में भी देखे जा रहे थे। अचानक पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तथा बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के बीच पक रही खिचड़ी ने खंडवा से अरुण यादव का खेल बिगाड़ दिया है। अब वे अकेले दावेदार नहीं रहे, बल्कि कमलनाथ और शेरा की मीटिंग के बाद शेरा की पत्नी का नाम दावेदार के रूप में सामने आ गया है। अरुण यादव और श्रीमती शेरा के बाद अब कांग्रेस में भी दावेदारों की भीड़ दिखाई देने लगी है। खरगोन से कांग्रेस विधायक रवि जोशी भी इस सीट पर दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। स्थानीय स्तर पर खंडवा से ही कुछ और नाम भी दस्तक दे रहे हैं।
गौरतलब है कि कमलनाथ के बयान और अरुण यादव के पिछले दिनों बैठक में मौजूद नहीं होने के बाद कांग्रेस की राजनीति गर्माती जा रही है। अरुण यादव के लिए खंडवा की राह आसान नहीं है। यादव अब दिल्ली में बड़े नेताओं पर डोरे डाल रहे हैं और वहीं से टिकट पक्का करवाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
हाल ही में भोपाल में प्रदेश कांग्रेस ने एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनावों को लेकर महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। बैठक में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक के साथ-साथ सभी प्रमुख नेता और संगठन प्रभारियों को भी बुलाया गया था, लेकिन खंडवा से दावेदारी कर रहे अरुण यादव नहीं पहुंचे। इस पर पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने तंज कसा था कि यादव के पास बहुत जमीन है और वे खेती के साथ-साथ राजनीति की खेती भी करते हैं। उन्हें क्या जरूरत? हालांकि इसके पहले कमलनाथ भी कह चुके थे कि अरुण यादव ने खंडवा से चुनाव लडऩे के लिए उनसे नहीं कहा। वैसे यादव लगातार खंडवा लोकसभा में सक्रियता बनाए हुए हैं और सांसद नंदकुमारसिंह चौहान के निधन के बाद उन्होंने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी थी और मानकर चल रहे थे कि उन्हें ही टिकट मिलेगा। चौहान ने यादव को 2 लाख 73 हजार 343 वोट से हराया था। कांग्रेस सर्वे के आधार पर टिकट देना चाह रही है और यादव अपने आपको यहां का प्रबल दावेदार बता रहे हैं।

तो कमलनाथ को मिल जाएगा शेरा का साथ

यदि शेरा की पत्नी को कांग्रेस से टिकट मिलता है तो कमलनाथ अब तक भाजपा के पाले में चल रहे शेरा को अपने साथ लेने में सफल हो जाएंगे

शेरा बिगाड़ सकते हैं भाजपा- कांग्रेस दोनों का गणित

शेरा की पत्नी को यदि कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो इस बात की भी संभावना है कि वे अपनी पत्नी को खंडवा लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़वा सकते हैं। ऐसी स्थिति में वह कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही गणित बिगाड़ेंगे। फिर खंडवा में किसी की भी जीत आसान नहीं रह जाएगी। दमोह सीट हारने के बाद भाजपा किसी भी तरह की रिस्क नहीं लेना चाहती है। ऐसी स्थिति में उसे और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।