राजू द्रोणावत हत्याकांड में बड़ा खुलासा, सात लोगों ने रची थी हत्याकांड की प्लानिंग
दोस्ती में दगा बाजी, प्रापट्री का धंधा, लेन-देन को लेकर भी थी रंजिश…… बनी हत्याकांड की प्लानिंग ……
उज्जैन। राजू द्रोणावत सनसनीेखेज हत्याकांड में हमने पहले इस मामले में खुलसा कर दिया था की इस हत्या कांड के पीछे प्रापट्री का धंधा, लेन-देन को लेकर भी राजू द्रोणावत थी रंजिश जो बनी हत्याकांड की के कारणों की वहज, अपहरण केस पार्टनर राजू और बाबु भागवत की दोस्ती में, राजू द्रोणावत की थी दगा बाजी जेल से राजू के बाहर आने पर नहीं लेने जाता था बाबु भाई से मुलाकात लेने जिसके कारण बाबु राजू से बेहद नाराज था बस राजू की दगा बाजी ओर फिर जेल से बाहर आते ही पैसा भी राजू कवर किया और राजू का धंदा था प्रापट्री का धंधा, जमीन से लेकर माकन दूकान बनाना फिर, खरीदना बेचना और निर्माण का टोटल काम,
यहाँ राजू द्रोणावत की हत्या के पीछे दबे हुए राज से अब उठा पर्दा…….
यहाँ बता की मुंगी तिराहे पर 4 मई को राजू द्रोणावत की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सनसनीेखेज हत्याकांड में माधवनगर पुलिस ने रविवार को गुमानदेव हनुमान क्षेत्र के धर्मेेद्र सिसोदिया को पकड़ा। धर्मेद्र ने कबूला कि बाबू भारद्वाज ने राजू को मारने की योजना बनाई थी जिसमे कुल सात लोग शामिल थे पुलिस ने तीन अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
दिन दहाड़े हुई हत्या को लेकर पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही थी। धर्मेंद्र के हाथ आने के बाद उसने पुलिस को बताया कि हत्या की साजिश 2 अप्रैल को बाबू भारद्वाज ने बनाई थी। हत्याकांड में उसके साथ हीरा नगर का जीतेंद्र उर्फ जीतू गुर्जर, प्रकाश नगर का विजय,श्रीराम नगर का राजू कांटे, ढांचा भवन का राकेश चतुर्वेदी, महाशक्ति नगर का दीपेश पांडे भी शामिल थे। जानकारी मिलते ही टीआई मनीष लौधा ने तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जिन्हे कोर्ट में पेश किया गया सभी को 11 मई तक रिमांड पर सौप दिया है।
हत्या के कई कारण….
हत्याकांड में कई कारण सामने आ रहे है। दरअसल पहले दो लोग हत्याकांड में आरोपी थे अब बढ़कर सात हो चुके है और हत्या के पीछे सभी का अपना अपना मोटिव था। बाबू को पता चला कि प्रापट्री का धंधा करने वाला राजू कांटे का भी द्रोणावत से विवाद है। डंपर संचालक राकेश चतुर्वेदी व बिल्डिंग मटेरियल बेंचेन वाला दीपेश पांडे की भी द्रोणावत से लेन-देन को लेकर रंजिश है। इस पर वह विजय के द्वारा कांटे से मिला। चतुर्वेदी व पांडे को भी साथ मिलाया और दो अप्रैल को सातों ने मिलकर द्रोणावत की हत्या करना तय किया। इसी के चलते बाबू ने धर्मेद्र व जीतू को 10-10 हजार रुपए दिए। चतुर्वेदी व पांडे ने बाइक, मोबाईल का इंतजाम कर दिया और कांटे द्रोणावत की रैकी करने लगा। इसके बाद 4 मई को दोपहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।