महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं से कर्मचारियों का दुर्व्यवहार..!
दर्शनार्थी परेशान, करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद कोई सुविधा नहीं ..
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। हर दिन हजारों लोग बाबा के दर्शन करने के लिए 3 घंटे तक लाइन में खड़े रहते हैं और बड़ी ही जद्दोजहद करके बाबा के दर्शन की अभिलाषा लेकर लाइन में लगे रहते हैं । सबसे दुख की बात है कि कई श्रद्धालु तो बिना दर्शन किए असंतुष्ट होकर वापस चले भी जाते हैं। जब से महाकाल लोक का निर्माण हुआ है, तब से श्रद्धालुओं की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। बाबा महाकाल के दर्शन के साथ साथ उज्जैन पर्यटन स्थल भी हो गया है। बाबा के भक्तों के साथ अपनी श्रद्धा लेकर आते हैं श्रद्धालु लेकिन बाबा महाकाल के मंदिर में आस्था के नाम पर मार्केटिंग हो रही है। जो वीआईपी लोग हैं, उनके लिए तो श्रद्धालुओं की लाइन भी थम जाएगी,बर्फ की तरह वहीं जम जाएगी। वीआईपी लोग बाबा के गर्भ गृह में जाकर आराम से पूजा-अर्चना कर सकते हैं। भक्त तो भक्त होते हैं बाबा के चाहे वीआईपी हो यह साधारण। बाबा के लिए तो सभी एक समान है। जो वीआईपी या धनाढ्य हैं क्या उन्हीं के भगवान हैं।
गर्भ गृह में अगर प्रवेश करना है, बाबा को जल अर्पित करना है तो 750 रुपये की रसीद और सुबह भस्म आरती के दर्शन करना है तो 200 रुपये की रसीद, आपको कटवाना पड़ेगी। नहीं तो फिर चलित लाइन में आपको दर्शन करना है और वहां आपको 1 मिनट भी खड़ा नहीं रहने दिया जाएगा कि आप बाबा को अच्छे से दर्शन कर सकें। उसके साथ साथ आपके साथ धक्का-मुक्की या अभद्रता पूर्ण व्यवहार हो सकता है। पिछले कुछ महीनों से महाकालेश्वर मंदिर में बनी हुई नई दर्शन व्यवस्था की वजह से श्रद्धालु और सुरक्षाकर्मियों के बीच टकराव की स्थिति रोज बन रही है । प्रशासन को इसकी और अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि श्रद्धालुओं की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जाए । कर्मचारियों का श्रद्धालुओं से दुर्व्यवहार , संस्कार और कुछ व्यावहारिकता का परिचय दे रहे हैं कि हम आने वाले श्रद्धालुओं जो राजस्थान , गुजरात यूपी विदेशों से भी आ रहे हैं, वह भी कई बार बिना दर्शन के ही असंतुष्ट होकर वापस अपने देश जा रहे हैं।