लापरवाह कालेजों ने बिगाड़ा बच्चों का भविष्य, परीक्षा नहीं दे पाएंगे कई छात्र
विद्यार्थियों ने कुलपति को बताई समस्या, नहीं हुआ समाधान
इंदौर। पुराने पाठ्यक्रम वाले स्नातक द्वितीय वर्ष के कई विद्यार्थियों के पात्रता प्रमाण पत्र नहीं बन पाए। इससे अप्रैल में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा करवाई गई परीक्षा से ये विद्यार्थी वंचित हो गए। अब छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के माध्यम से पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं, मगर इसके लिए पात्रता नहीं होने से ये बुधवार से शुरू होने वाली स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा में भी नहीं बैठ पा रहे हैं। मामले में मंगलवार को कई विद्यार्थियों ने अपनी समस्या कुलपति डा. रेणु जैन को बताई।
छात्रों ने बताया कि पात्रता प्रमाण पत्र के लिए उन्होंने तय समय में मार्च में कालेजों में आवेदन दे दिया था। इसके बावजूद दो माह में भी प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए। जवाब में अधिकारियों ने जानकारी दी कि कालेजों ने तय समय में विद्यार्थियों के फार्म विश्वविद्यालय में जमा नहीं करवाए थे। काफी देर तक विद्यार्थी साल बचाने को लेकर कुलपति और अधिकारियों से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। दरअसल, विद्यार्थी पुराने पाठ्यक्रम के तहत स्नातक द्वितीय वर्ष पूरा करना चाहते थे। पात्रता प्रमाण पत्र बनाने के लिए भी कालेजों में आवेदन भी किया, जो 3 मार्च तक फार्म भरकर देना था। विश्वविद्यालय पहुंचे विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने आवेदन तय समय में कालेजों में जमा करवा दिए थे, लेकिन प्रबंधन ने समयावधि के बाद फार्म विश्वविद्यालय में भिजवाए। इसके कारण शैक्षणिक विभाग ने इन्हें लौटा दिया। मगर इसके बारे में विद्यार्थियों को कोई जानकारी नहीं दी।
यहां से हुई उलझन
विश्वविद्यालय ने 18 अप्रैल से 8 मई के बीच पुराने पाठ्यक्रम के तहत स्नातक द्वितीय वर्ष की परीक्षा करवाई। पर पात्रता नहीं होने से विद्यार्थी परीक्षा से वंचित हो गए। ऐसे 30-40 विद्यार्थी मंगलवार को विश्वविद्यालय पहुंचे और साल बचाने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत होने वाली परीक्षा में शामिल होने की मंशा जताई। मगर इनके सामने दिक्कत यह है कि पुराने पाठ्यक्रम और एनईपी दोनों में अध्ययन की अलग-अलग योजना है। एनईपी में शामिल होने के लिए अतिरिक्त विषयों की परीक्षा देना अनिवार्य है। अब इन विद्यार्थियों ने 10 मई से शुरू होने वाली बीए, बीकाम और बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा में अतिरिक्त विषय की परीक्षा देना चाहा, मगर इसके लिए भी विद्यार्थियों को पात्रता प्रमाण बनवाना जरूरी है।