सत्तन ने कहा – इंदौर में चाहिए पत्रकारों और साहित्यकारों के लिए एक भवन
शिवराज से मुलाकात के बाद कविवर सत्तन का बदला मिजाज, सत्ता और संगठन के भी बदले सुर
इंदौर। चुनावी वर्ष में भाजपा की सरकार और संगठन दोनों ही नाराज सुरों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व विधायक और राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन के बिगड़े मिजाज के बाद उन्हें साधने के लिए प्रदेश संगठन के बदले हुए मिजाज यही संकेत दे रहे हैं। 12 मई को इंदौर विकास प्राधिकरण की बैठक जितनी चर्चा में नहीं रही, उससे ज्यादा नजर में थे खरी खोटी सुनाने वाले सत्तन। उन्हें न सिर्फ न्योता भेजा गया था, बल्कि कार भेजकर घर से मीटिंग हॉल तक लाया गया। यह सब तब हुआ है जब शिवराज समर्थक प्राधिकरण अध्यक्ष जयदीप चावड़ा हैं।
चावड़ा ने अपने पैरेलल कुर्सी लगाकर सत्तन को जगह दी।
इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 से विधायक रहे वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन ने अपनी सरकार और पार्टी के खिलाफ मीडिया में बहुत कुछ कहा था। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में इसकी खबरें प्रमुखता से छपने के बाद 6 दिन पहले 7 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भोपाल में सत्तन से मुलाकात हुई।
मुख्यमंत्री से करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद सब कुछ सामान्य सा हो गया लेकिन भोपाल से इंदौर लौटते ही सरकार और संगठन में सत्तन को तवज्जो दी जाने लगी। दरअसल, सत्तन ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया था। अब खुद सत्तन को ही बैठक में आमंत्रित कर दिया गया।
हाल ही में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक के वार्ड 8 में जहां विकास कार्यों के भूमिपूजन में सत्तन को बुलाया गया, वहीं कल इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की महत्वपूण बजट बैठक (12 मई शुक्रवार) के बाद ब्रीफिंग में भी सत्तन न केवल नजर आए बल्कि प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के बगल में बैठे दिखे। उनकी मौजूदगी से भाजपा के वहां मौजूद अन्य नेता भी समझ गए थे कि उन्हें खास तवज्जो दी जा रही है।
सत्तन ने शहर के विकास को लेकर आईडीए का प्रेजेंटेशन देखा और वर्तमान में चल रहे विकास कार्यों से अपडेट हुए।
सत्तन ने संबोधित करते हुए कहा कि
आपने बहुत सारे प्रोजेक्ट जो यहां पर दिए है, इन प्रोजेक्टों के साथ-साथ आपको ये भी विचार करना चाहिए कि इस नगर में रहने वाले और इस प्रदेश में रहने वाले वो लोग जो साहित्य की सेवा करते है, वो लोग जो सामाजिक सेवा के साथ में पत्रकारिता के साथ में अपने व्यक्तित्व और कृतित्व को समाज के सामने पहुंचाने हैं।