अब कांग्रेस भी भुनाएगी हिंदू कार्ड! चुनावी साल में चढ़ा भगवा रंग
कर्नाटक के चुनाव परिणाम ने जोश भरा, धर्म यात्राओं के जरिए हिंदुओं के मन मंदिर में पैठ की तैयारी
इंदौर। मध्यप्रदेश में छह माह बाद विधानसभा चुनाव होना है। चुनावी मैदान में भाजपा-कांग्रेस तेजी से मोर्चा संभालने में जुट गए हैं। कर्नाटक चुनाव परिणाम ने कांग्रेस में जोश भर दिया है। चुनावी तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने भाजपा के कोर हिंदुत्व वाले एजेंडे पर भी पकड़ बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी इसी मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी है।
राजनीति के जानकार कांग्रेस के इस बदले हुए ‘सेक्युलर’ चेहरे को देखकर हैरान हैं। हालांकि वे सवाल भी उठा रहे हैं कि पार्टी हिंदुत्व-सेक्युलर चेहरे को बैलेंस कैसे करेगी? बहरहाल, मप्र कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ युवा इकाई की द्वारा धर्म रक्षा यात्रा निकालना राजनीतिक पंडितों में चर्चा का विषय है।
सवाल उठ रहे हैं कि पार्टी अपनी छवि बदलने पर मजबूर तो नहीं हो रही? हिंदुत्व के मुद्दे पर बैकफुट पर रहने वाली कांग्रेस इसे ही ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर प्रदेश की सत्ता में वापसी के सपने तो नहीं बुन रही? क्योंकि कांग्रेसी गले में भगवा गमछा, हाथों में भगवा ध्वज लेकर खुलकर “जय सियाराम” बोलने लगे हैं।
पार्टी ने अपनी इस छवि को तैयार करने के लिए पिछले साल जुलाई-अगस्त में ही प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया था। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ का गठन किया। अब चुनाव के लगभग 6 महीने पहले इस प्रकोष्ठ ने सक्रियता दिखाना शुरू कर दिया है। 13 मई को इंदौर में प्रकोष्ठ के बैनर तले खजराना गणेश मंदिर से बिजासन माता मंदिर तक निकाली गई धर्म रक्षा यात्रा इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
यात्रा में कार्यकर्ताओं से लेकर पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा तक के गले में भगवा गमछा डला था। हाथों में भगवा ध्वज था। तेज आवाज में भगवान श्री राम के भजन डीजे पर बज रहे थे। जय सियाराम के नारे कांग्रेसी लगा रहे थे। यह बात और है कि इससे पहले कभी कांग्रेस खुलकर हिंदुत्व के रंग में रंगी नजर नहीं आई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में “जय सियाराम” का नारा दे चुके हैं और उन्हीं के नक्शे कदम पर पार्टी के कार्यकर्ता इसका अनुसरण शुरू कर दिया है। कर्नाटक में बजरंग दल को बैन करने की कांग्रेस की घोषणा और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जय बजरंगबली कहकर चुनावी सभा को संबोधित करना भी कांग्रेस के लिए ही फायदेमंद रहा। इससे भी कांग्रेसी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
अब विधानसभा चुनावों तक मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में इसी तरह धर्म रक्षा यात्राएं निकाली जाएंगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस लोगों के बीच में खुद को धर्म और हिंदुत्व का रक्षक बताने की भी कोशिश करेगी। जैसा अब तक भाजपा करती आई है।