“केरला स्टोरी” को क्या भाजपा ने दिया फंड ..?
नकारते हैं फिल्म के राइटर … सूर्यपाल सिंह का कहना है कि अगर भाजपा फंडिंग करती , तो फिल्म 30 नहीं 300 करोड़ की होती
चुनाव तो हर 6 महीने में आते हैं कर्नाटक चुनाव के लिए फिल्म बनाने का आरोप बेबुनियाद
इंदौर।“अगर भाजपा की फंडिंग होती तो हमारी फिल्म 30 नहीं 300 करोड़ की होती। हमारी फिल्म में बड़े-बड़े स्टार कास्ट होते। प्रमोट करने के लिए बड़े-बड़े सैलिब्रिटी की लाइन लग जाती। हमारे पक्ष में किसी ने एक ट्वीट तक नहीं किया होगा। सीधी-सी बात है अगर फंडेड होती तो बहुत भव्य रूप होता लेकिन इसे भव्य जनता ने बनाया है। हमारा बजट तो छोटा था, जो आरोप लगाए जा रहे हैं सब बेबुनियाद है।”
ये कहना है फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ के राइटर सूर्यपाल सिंह का। फिल्म इन दिनों देशभर में सुर्खियों में है। मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में तो सरकार ने इसे टैक्स फ्री तक कर दिया है। कुछ राज्यों ने इसे बैन किया है। फिल्म को भाजपा की तरफ से फंडिंग मिलने के आरोप भी लगाए गए हैं। कर्नाटक चुनाव को ध्यान में रखते हुए फिल्म रिलीज करने पर सवाल भी उठाए गए हैं।
रविवार को फिल्म के राइटर सूर्यपाल सिंह इंदौर में थे। उन्होंने फिल्म और आरोपों पर अपनी बात रखने के साथ ही ये भी बताया कि वे इस प्रोजेक्ट से कैसे जुड़े।
इस फिल्म को बनाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पहली बात तो ये थी कि फिल्म के लिए प्रोड्यूसर ही नहीं मिल रहे थे। विपुल शाह के अलावा कोई और प्रोड्यूसर उसमें पैसा लगाने को तैयार नहीं था। फिल्म के साथ कोई को-प्रोड्यूसर नहीं जु़ड़ा। रिस्क लेकर पूरा खर्च विपुलजी ने उठाया।
बाद में फिल्म को रिलीज करने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स भी नहीं मिल रहे थे लेकिन ट्रेलर आने के बाद एक बूम खड़ा हुआ और आज फिल्म लोगों तक पहुंच पाई है। हमने सिर्फ ट्रेलर डाला और कोई प्रचार नहीं किया। यू-ट्यूब पर सिर्फ पोस्टर और ट्रेलर डाले। लोगों ने ही इसका प्रचार किया।
फिल्म का जो विरोध हो रहा है, वो पॉलिटिकल विरोध है। समाज से विरोध नहीं है। समाज के लोग देख रहे हैं। समाज के लोगों को पसंद आ रही है। पॉलिटिकल विरोध चलता रहेगा। उससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। जनता फिल्म पसंद कर रही है। पब्लिक का रिस्पॉन्स है। पब्लिक देखना चाह रही है। यहां नहीं देखेगी तो ओटीटी पर देखेगी।
हर साल में हमारे यहां 6-6 महीने में चुनाव आते हैं तो आप ये नहीं कह सकते हैं कि चुनाव के दौरान हम ये फिल्म लेकर आए। अभी नहीं लाते बाद में लाते तो मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव आ जाते, उसको छोड़ते तो लोकसभा चुनाव आ जाते। वो छोड़ते तो किसी और राज्य के चुनाव आ जाते तो हमारे देश में चुनाव का मेला हर 6-6 महीने में चलता रहता है। ये गलत बात है कि हमने चुनाव को लेकर ये फिल्म बनाई।