महाकाल मंदिर एक्ट है या नहीं ? हाईकोर्ट का शासन से सवाल
मंदिर प्रबंध समिति में अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति का आधार मांगा हाईकोर्ट ने…
इंदौर। महाकाल मंदिर में खुद का कोई एक्ट लागू है या नहीं, इस बात की जानकारी एक याचिका के संबंध मेें हाईकोर्ट ने मप्र शासन से मांगी है।
महाकाल मंदिर प्रबंध समिति में 28 मार्च 2022 में तीन अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की गई थी। यह नियुक्ति श्री महाकालेश्वर मंदिर एक्ट की धारा 6 की उपधारा (1) के तहत की गई थी। इस नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए चल रही याचिका में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी ने मध्यप्रदेश के धर्मस्व विभाग प्रमुख सचिव और डिप्टी सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर पूछा है कि ये नियुक्तियां किस आधार पर हुईं। क्या मंदिर का पुराना अधिनियम निरस्त कर दिया गया है?
कोर्ट नोटिस के जवाब के आधार पर आगे की प्रक्रिया करेगी। याचिकाकर्ता बख्तावर मार्ग निवासी सारिका पंडित पिता ओमप्रकाश की रिट पिटिशन (डब्ल्यूपी नं. 11309/2022) पर ये नोटिस जारी किया गया है। वर्तमान में धर्मस्व विभाग के पीएस संजीव कुमार झा हैं। विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी सहित उज्जैन के प्रशासनिक अधिकारियों से भी इनके जवाब मांगे गए हैं।
इन्हे किया था मंदिर समिति में नियुक्त….
28 मार्च 2022 में मंदिर में तीन अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की गई थी, जिनमें प्रदीप गुरु, राजेंद्र शर्मा और पं. राम शर्मा शामिल हैं। 19 अप्रैल 2022 को इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि बिना कोई विज्ञापन दिए विवादित आदेश 28 मार्च को जारी किया गया। वहीं याचिकाकर्ता के अभिभाषक ने कोर्ट को बताया कि महाकाल मंदिर अधिनियम 1982 के आधार पर नियुक्ति की गई है जबकि नए अधिनियम मप्र विनिर्दिष्ट विधेयक 2019 द्वारा निरस्त कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में कहा है कि नियुक्त तीन अशासकीय सदस्य अयोग्य हैं। इसके प्रमाण भी दिए हैं।
सरकार खुद कह चुकी है एक्ट निरस्त….
याचिका कर्ता ने कहा है कि महाकाल मंदिर से जुड़े एक मामले की रिट पिटिशन नं. 21741/2019 में पारित आदेश दिनांक 22 जनवरी 2020 के अनुसार महाकाल मंदिर अधिनियम निरस्त हो गया। इसकी जानकारी मंदिर समिति, तत्कालीन कलेक्टर और शासन ने खुद कोर्ट में दी है। याचिकाकर्ता का सवाल है कि जब अधिनियम निरस्त हो चुका है तो उस अधिनियम का हवाला देकर नियुक्ति कैसे की जा सकती है।