हे महाकाल..! फूट पड़ा भ्रष्टाचार का गंदा नाला, मैली हो गई मोक्षदायिनी शिप्रा
साधु -संत के आंदोलन से भी जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी ,मंत्री ,सांसद, विधायक और अन्य जिम्मेदार सभी की कोशिश नाकाम
आचमन लायक भी नहीं बचा जल
उज्जैन। पुण्य सलिला क्षिप्रा के निर्मल जल में गंदे नाले नालियों का पानी मिल रहा है। शिप्रा का यह पानी अब आचमन लायक भी नहीं रहा। इससे शिप्रा की पवित्रता नष्ट हो रही है। सरकार और प्रशासन की करोडों की योजना फेल गई है। शिप्रा शुद्धिकरण के अब तक के किए गए लाखों दावे फेल हो गए हैं। यहाँ दूर दराज से श्रद्धालु बड़ी आस्था लिए धार्मिक नगरी पहुंचते हैं। शिप्रा में स्नान कर दान पुण्य करते हैं, पर नाले के पानी में श्रद्धालु स्नान करने को मजबूर हैं। अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि शिप्रा शुद्धिकरण और विकास के नाम पर करोड़ों रुपए बहा दिए गए, फिर भी शिप्रा नदी से नाला बन गई। हालात यह हो गए कि महाकाल की नगरी में बहती शिप्रा इन भ्रष्टाचारी पापियों के पाप धोते-धोते खुद मैली हो गई। शासन- प्रशासन के लिए शर्म की बात है कि शिप्रा शुद्धिकरण के लिए साधु-संत कई सालों से आन्दोलन की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन आज तक कोई जिम्मेदार सामने नहीं आया है। कोई आता भी है तो सिर्फ लच्छेदार भाषण देकर चला जाता है। उज्जैन की जनता जानना चाहती है कि सब कहाँ हैं? उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने भी वादा किया था कि मैं पहला काम शिप्रा का उद्धार करने का करूंगा, परंतु वे दावा और वादा दोनों ही भूल गए। शिप्रा के नाम पर ऐसा भ्रष्टाचार हुआ कि मंत्री ,सांसद, विधायक सभी के प्रयास नाकाम हो गए। नाले का पानी पवित्र शिप्रा में मिल रहा है। आज एक भक्त मजबूर हुआ। नाले के पानी में स्नान करने के लिए नदी में उतर गया, जिसकी तस्वीर भी साफ़ दिखाई दे रही है। एक भक्त बड़ी आस्था लिए माँ शिप्रा में उतर गया और उसी दौरान नाले का पानी बहता हुआ नदी में मिल रहा है। क्षिप्रा में भारी मात्रा में गंदे नाले का पानी मिला। प्रशासन निष्क्रिय भूमिका में नजर आ रहा है। पूरे घाट पर भारी मात्रा में नाले का पानी जमा हुआ बहता हुआ नदी में मिल रहा है। ये आज ही नहीं बल्कि कई बार हुआ है।