इंदौर के 119 साल पुराने गांधी हाल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

टेंडर प्रक्रिया पूरी, उज्जैन की कंपनी 50 लाख रुपया सालाना चुकाने को तैयार

कांग्रेस और आप ने कहा- इंदौर की विरासत को नहीं रखने देंगे गिरवी

इंदौर। 119 वर्ष पुराने गांधी हाल को नगर निगम निजी हाथों में सौंपने जा रहा रहा है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इंदौर की इस विरासत का रखरखाव और प्रबंधन देखने वाली कंपनी नगर निगम को 50 लाख रुपये सालाना चुकाएगी। इसके बदले में कंपनी को गांधी हाल और इसके परिसर को किराए पर देने का अधिकार होगा। कंपनी के पास ही गांधी हाल और परिसर की सफाई व्यवस्था, पुस्तकालय के रखरखाव की जिम्मेदारी भी रहेगी। कंपनी परिसर में एक रेस्त्रां भी संचालित कर सकेगी। हालांकि अंतिम मुहर लगने के पहले ही निगम की इस योजना का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों इस फैसले के विरोध में आंदोलन की तैयारी में हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं ने कहा कि इंदौर की विरासत को गिरवी नहीं रखने देंगे। इसके खिलाफ तगड़ा मोर्चा लिया जाएगा।
गांधी हाल को लीज पर सौंपने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी ने टेंडर बुलाए थे। उज्जैन की एक निजी कंपनी ने इसमें रुचि दिखाते हुए निगम को 50 लाख रुपये सालाना किराया देने का प्रस्ताव दिया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि गांधी हाल को लोग पहले आयोजन के लिए निगम से किराए पर लेते रहे हैं। व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं आएगा। निजी कंपनी वर्तमान किराये में बदलाव नहीं करेगी। गांधी हाल और परिसर का रखरखाव और प्रबंधन निजी कंपनी की जिम्मेदारी हो जाएगी। कंपनी द्वारा परिसर में रेस्त्रां संचालित करने से आमजन को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

एतिहासिक इमारत है गांधी हाल या घंटाघर

गांधी हाल इंदौर की ऐतिहासिक इमारत है। इसे टाउन हाल या घंटाघर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण वर्ष 1904 में करीब ढाई लाख रुपये की लागत से हुआ था। उस वक्त इस इमारत का नाम किंग एडवर्ड हाल था। इस इमारत का उद्घाटन नवंबर वर्ष 1905 में प्रिंस आफ वेल्स (जार्ज पंचम) के भारत आगमन पर हुआ था। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद इस इमारत का नाम गांधी हाल कर दिया गया। भवन के ऊपर राजपुताना शैली के घटक गुंबद और मीनारें हैं। इमारत सफेद सिवनी और पाटन के पत्थरों से इंडो-गोथिक शैली में बनी है। आंतरिक सजावट प्लास्टर आफ पेरिस से की गई है। इसके फर्श को काले और सफेद संगमरमर से सुसज्जित किया गया है। इसमें बीच की मीनार आयताकार बनी है। इस मीनार के ऊपरी भाग में चारों ओर एक-एक घड़ी लगी है। ये घड़ियां इतनी बड़ी हैं कि दूर से ही दिखाई देती हैं, और इसी कारण से इसे घंटाघर भी कहा जाता है।