मप्र के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बुरी खबर- रिटायर होने के बाद सजा मिली या जांच जारी तो रुक जाएगी ग्रेच्युटी
आदेश का पालन 33 साल पहले से करना होगा, शासन ने विगत 19 मई को नोटिफिकेशन कर दिया जारी
इंदौर /भोपाल। रिटायर कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर नहीं है। राज्य सरकार के ऐसे कर्मचारी जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनकी जांच चल रही है या फिर उन्हें किसी न किसी सरकारी मामले में लापरवाही बरतने पर सजा हुई है, उनकी ग्रेच्युटी रोक दी जाएगी। शासन ने विगत 19 मई को इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसमें भी हद यह है कि नोटिफिकेशन 1990 से लागू माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि किसी कर्मचारी की जांच चल रही है, किसी कोर्ट में सुनवाई लंबित है तो भी उसे ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिलने वाला। उसकी पूरी की पूरी ग्रेच्युटी रोक दी जाएगी।
दरअसल, राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश सरकारी कर्मचारी-अधिकारी पेंशन नियम 1976 के रूल 64 में संशाेधन किया है। अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के मुताबिक कर्मचारी-अधिकारियों के सामने दिक्कत यह हो गई है कि सरकारी काम में लापरवाही पर सजा हुई तो उसके निराकरण होने में 5 से 10 साल तक लग जाएंगे। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर कर्मचारी हाई कोर्ट जाएगा। वहां से कर्मचारी या शासन किसी के पक्ष में फैसला गया तो उसकी अपील होना स्वाभाविक है। कर्मचारी के रिटायर होने के बाद आगे के जीवन-यापन के लिए ग्रेच्युटी की रकम ही सबसे अहम होती है। इसी का एकमुश्त पैसा मिलने पर कर्मचारी भविष्य की प्लानिंग करता है।
हाई कोर्ट ने ऐसे मनमाने फैसले पर दिखाई थी सख्ती
शासन ने अभी छह दिन पहले ही यह नोटिफिकेशन जारी किया है, लेकिन हाई कोर्ट ने इसके पहले इस तरह के मनमाने सरकारी फैसले पर सख्ती दिखाई थी। इंदौर खंडपीठ ने एक महिला कर्मचारी की पेंशन, ग्रेच्युटी इसी आधार पर रोक दी थी कि वह रिटायर होने के बाद उसे शासकीय काम में लापरवाही बरतने पर सजा हो गई थी। हाई कोर्ट ने इस तरह ग्रेच्युटी रोके जाने के फैसले को पूरी तरह गलत ठहराते हुए उसे रिटायरमेंट के बाद मिलनी सभी सुविधा दिए जाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने फैसले में उल्लेख किया कि कर्मचारी को ग्रेच्युटी, पेंशन की योग्यता उसके द्वारा लगातार 13 साल नौकरी करने पर मिलती है। वह उसका हकदार है। रिटायरमेंट के बाद सजा होने पर इससे वंचित कैसे रखा जा सकता है।
खाली खजाने को भरने की तिकड़म
जानकारों का कहना है कि सरकार का खजाना खाली है। 30-35 साल की नौकरी के बाद कोई द्वितीय, प्रथम श्रेणी का कर्मचारी-अधिकारी रिटायर हो रहा है तो उसे ग्रेच्युटी का पैसा 50 लाख या उससे अधिक चुकाना होता है। हर महीने रिटायरमेंट विभिन्न विभागों में हो रहे हैं। कर्मचारियों के खिलाफ कोई ना कोई शिकायत, जांच रहती है। इसकी आड़ में सरकार इतनी बड़ी राशि के भुगतान से बचना चाहती है।