जूना अखाड़ा के संतों और रहवासियों के बीच उपजा विवाद
उज्जैन। नीलगंगा चौराहा पर श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर और धर्मशाला को लेकर मंगलवार दोपहर गंगा दशहरा की पेशवाई के बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संतो और रहवासियों के बीच विवाद खड़ा हो गया। मौके पर एसडीएम, तहसीलदार ने पहुंचकर दोनों पक्षों को सुना और मामला शांत कराया।
पंचदशनाम जूना अखाड़ा परिसर में ही नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है। जहां धर्मशाला का निर्माण क्षेत्रवासियों ने कर लिया था और अपना बोर्ड भी लगा लिया था। मंगलवार को गंगा दशहरा होने पर अखाड़े के संतों ने उक्त बोर्ड निकालकर नया बोर्ड लगा दिया। जिसको लेकर रहवासियों ने विरोध करना शुरू कर दिया। क्षेत्रवासी दिलीपराव गोरकर (दिल्लू पहलवान) का कहना था कि उक्त भूमि सरकारी है और 2003 में पूर्व राज्यसभा सांसद रहे सत्यनारायण जटिया से मांग कर गरीब लोगों के शादी समारोह के लिये जगह ली थी। जटिया जी ने 3 लाख फिर 10 लाख दिये। विधायक जगीदार ने 60 हजार दिये। पार्षद रहे विजय चौधरी ने एक लाख दिये और रहवासियों ने पैसा एकत्रित कर निर्माण किया। कुछ माह पहले कोर्ट ने इसे तोड़ने के आदेश जारी कर दिये, जिसके बाद प्रशासन को आवेदन दिये गये। अब तक नहीं तोड़ा गया, अब साधु-संतों ने कब्जा कर लिया, जबकि धर्मशाला और मंदिर को लेकर एक समिति भी बनाई गई थी। वहीं जूना अखाड़ा में मंहत हरिगिरी महाराज का कहना था कि नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की भूमि उनकी खरीदी हुई है। जिसके दस्तावेज उनके पास मौजूद है। न्यायालय और प्रशासन फैसला करेगा। जिनके पास दस्तावेज है, वह दिखाये। संतों और रहवासियों के बीच विवाद की खबर मिलते ही नीलगंगा और माधवनगर थाना पुलिस के साथ नानाखेड़ा पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। रहवासियों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह उग्र होने लगे। मौके पर एसडीएम कल्याणी पांडे और तहसीलदार अर्चना गुप्ता पहुंचे, उन्होने दोनों पक्षों से चर्चा कर दस्तावेज दिखाने को कहा और मामला शांत किया। वैसे उक्त भूमि अखाड़े से जुड़ी हुई है।