अब महाकाल लोक में लगी सारी मूर्तियों का परीक्षण कराएंगे
– सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्णय, मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं, एक-एक चीज का रिकॉर्ड है
दैनिक अवंतिका उज्जैन।
महाकाल मंदिर के पीछे बने महाकाल लोक में लगी सप्तऋषियों की मूर्तियों के आंधी, तूफान में गिरने की घटना के बाद अब शासन-प्रशासन बतौर सुरक्षा के लिए यहां लगी सारी मूर्तियों का ही परीक्षण कराने जा रहा है। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा से न हो।
क्योंकि महाकाल लोक में सुबह से रात तक आम लोग भ्रमण करते हैं। ऐसे में मूर्ति गिरने की घटना से लोगों को नुकसान पहुंच सकता है। यह तो गनीमत रही कि पहली घटना में लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा। यह जानकारी नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने पत्रकारों को दी है। मंत्री सिंह ने कहा प्राकृतिक आपदा के तहत क्षतिग्रस्त मूर्तियों को डीएलपी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने के कारण संबंधित ठेकेदार अतिशीघ्र पुन:स्थापित कर रहा है। लेकिन अब शेष मूर्तियों का भी ऐहतियात के तौर पर परीक्षण कराया जा रहा है। कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है हमारे पास एक-एक कागज व रिपोर्ट मौजूद है।
पंढरपुर, अक्षरधाम, सिक्कम के
मंदिरों में भी ऐसी ही मूर्तियां लगी
मंत्री ने कहा कि जिस तरह से यह प्रचारित किया जा रहा है कि महाकाल लोक में मूर्तियां लगाने में भ्रष्टाचार हुआ यह सही नहीं है। यहां एफआरपी सामग्री का उपयोग कर जो मूर्तियां लगाई गई इस तरह की मूर्तियां वर्तमान में महाराष्ट्र के पंढरपुर शेगाँव, दिल्ली स्थित किंगडम ऑफ ड्रीम, अक्षरधाम मंदिर, कुरूक्षेत्र, सिक्किम के मंदिरों तथा बाली इंडोनेशिया के धार्मिक स्थलों पर लगी है। मूर्तियों के निर्माण में निविदा शर्तों के तहत एफआरपी सामग्री का उपयोग किया गया तथा यह एफआरपी सामग्री थर्ड पार्टी निरीक्षण में गुणवत्तापूर्ण पाई गई थी।
3 क्विंटल वजनी, 10 फीट ऊंचाई
से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई मूर्तियां
तेज आंधी-तूफान, बारिश की प्राकृतिक आपदा के चलते हवा के दबाव में 3 क्विंटल वजनी यह मूर्तियाँ 10 फीट ऊपर से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसका तुरंत संज्ञान लिया गया और शीघ्र इन मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार घटना वाले दिन उज्जैन जिले में 55 कि.मी. प्रति घण्टे की गति से हवा चलने से यह घटना हुई। जबकि महालोक में 100 से अधिक एफआरपी की मूर्तियाँ सभी सुरक्षित है।
2018 से लेकर 2023 तक का
महाकाल लोक का हिसाब मौजूद
– 4 सितम्बर 2018 को प्रशासनिक कार्य की निविदा जारी की गई।
– स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी की 7 जनवरी 2019 को 11वीं बोर्ड मीटिंग में हुई।
– स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को तथा कार्यादेश 7 मार्च 2019 को जारी किया।
– यह कार्य कान्ट्रेक्ट में अनुमानित लागत से 0.76 प्रतिशत कम के थे। – स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊँचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियाँ शामिल थीं इस कार्य की लागत 7 करोड़ 75 लाख रूपये प्रावधानित थी।
– स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा 18 जून 2019 की बैठक में प्रस्ताव के परीक्षण के बाद प्लाजा क्षेत्र के इस सम्पूर्ण आर्ट वर्क का अनुमोदन किया।