चरक भवन की 9 नम्बर लिफ्ट में फंसा युवक

उज्जैन। चरक भवन शहर का सबसे बड़ा स्वास्थ्य भवन बना हुआ है। लेकिन यहां की व्यवस्थाओं को लेकर आये दिन सुर्खियों में रहता है। अब नया मामला यहां युवक के लिफ्ट में फंसने का सामने आया है। युवक को उसके दोस्त ने कॉल आने के बाद बाहर निकाला।
आगररोड सामाजिक न्याय परिसर के सामने 93 करोड़ की लागत से वर्ष 2016 में सात मंजिला चरक भवन का निर्माण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये किया गया था। लेकिन इसके संचालन के बाद से यह सुर्खियों में बना हुआ है। अब यहां लगी लिफ्ट में एक युवक फंस गया। बताया जा रहा है कि खंदार मोहल्ला में रहने वाला मंजूर एहमद हज यात्रियों के वैक्सीनेशन की डायरी लेने के लिये सीएमएचओ कार्यालय आया था, जो चरक भवन की छटवीं मंजिल पर बना हुआ है। ऊपर जाने के लिये वह लिफ्ट पर पहुंचा। उसे कर्मचारियों ने कहा कि स्टॉफ के लिये हैं। मरीजों और उनके परिजनों के लिये अन्य लिफ्ट लगी है, 9 नम्बर लिफ्ट से ऊपर चले जाओ। मंजूर 9 नम्बर की लिफ्ट में पहुंचा और अंदर जाने के बाद 6 नम्बर का बटन दबाया। लिफ्ट का गेट बंद हो गया, लेकिन वह ऊपर नहीं गई। उसने फिर प्रयास किया, लेकिन वह फंस चुका था। मंजूर ने आवाज लगाई, किसी ने नहीं सुनी। वह घबरा गया और बाहर निकलने का प्रयास करने लगा। कुछ देर बाद उसने अस्पताल में काम करने वाले दोस्त दीपक लश्करी को कॉल किया। दीपक वहां पहुंचा लेकिन उसे पता नहीं था कि किस लिफ्ट में है। उसने कॉल किया, मंजूर का मोबाइल नेटवर्क एरिया से बाहर हो गया था। उसने एक-एक लिफ्ट चैक की और 9 नम्बर तक पहुंचा। अंदर से मंजूर की आवाज सुनाई देते ही उसने दरवाजा खोलने के लिये लोहे का सरिये का उपयोग किया और दोस्त को बाहर निकाला। इस दौरान सामने आया कि मंजूर करीब एक घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा। उसने लिफ्ट कर्मचारी से शिकायत की और ठेकेदार का नम्बर मांगा, लेकिन कर्मचारी ने नम्बर नहीं दिया। काउंटर पर शिकायत करने पर वहां से भी संतोषजनक जबाव नहीं मिला, उल्टा कहा गया कि लिफ्ट का जिम्मा हमारे पास नहीं है। मामले को लेकर चरक भवन आरएमओ डॉ. निधी जैन ने कहा कि उन्हे लिफ्ट में युवक के फंसने की जानकारी नहीं है। बाद में उन्होंने जानकारी लेकर कहा कि मामला संज्ञान में आया है। लिफ्ट का काम आउटसोर्स कर्मचारियों के जिम्मे है। युवक को कुछ देर ही में निकाल लिया गया था। गौरतलब हो कि चरक भवन बनने के बाद से रोज नये मामले सामने आते हैं। पूर्व में सैक्स रैकेट का मामला भी उजागर हो चुका है। प्रसुताओं को रैफर करने के मामले तो आम हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ठीक से संचालन नहीं कर पाने से भवन की ऊपरी मंजिलों में धूल जमा हो रही है।