जबरदस्ती जन आशीर्वाद यात्रा! विधायकों के वोट से सांसद और मंत्री बने, तो उन्हीं से ले लेते आशीर्वाद
सिंधिया आज निमाड़ में, कल इंदौर में होगा समापन
ब्रह्मास्त्र इंदौर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज निमाड़ यानी खंडवा- खरगोन जिले में कथित जन आशीर्वाद ले रहे हैं। कल उन्होंने देवास- शाजापुर जिले से जन यात्रा का शुभारंभ किया था। उनकी जन यात्रा सवालों के घेरे में है। वह इसलिए भी क्योंकि सिंधिया को जन आशीर्वाद लेने की जरूरत ही नहीं थी। लोगों का कहना है कि उन्हें जन आशीर्वाद तो दिया ही नहीं गया। वह अपने मन से कांग्रेस से भाजपा में कूदे और राज्यसभा यानी जनप्रतिनिधियों ( विधायकों ) के वोट पाकर उच्च सदन में पहुंच गए। फिर मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बन गए। इसके लिए तो उन्हें उन विधायकों तक ही पहुंचना काफी होता जिन्हें पार्टी गाइडलाइन का पालन करते हुए वोट देना पड़ा था।
कल इंदौर एयरपोर्ट पर भीड़ और धक्का-मुक्की का नजारा था। इंदौर में कल जहां से सिंधिया को निकलना था और उन सभी चौराहों पर ट्रैफिक रोक दिया गया था। सिंधिया के साथ बड़ा काफिला था, इसलिए लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा। श्रीमंत की सवारी थी इसलिए रुकना ही पड़ा। क्या इसे जन आशीर्वाद कहा जाएगा। इस सवाल का जवाब तो खुद सिंधिया को ही देना चाहिए और यह भी कि क्या यह जबरदस्ती जन आशीर्वाद यात्रा नहीं थी ? क्या इस तरह के आयोजन को फिलहाल छूट मिली हुई है? तब जबकि इंदौर सहित प्रदेश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण की आहट सुनाई देने लगी है, ऐसी यात्रा का क्या औचित्य ? लोगों को यह भी आपत्ति है कि भाजपा धर्म में आस्था की बड़ी-बड़ी बातें करती है, तो कावड़ यात्रा को अनुमति क्यों नहीं दी गई ? भोले बाबा के हजारों भक्तों को आहत किया गया। उन्हें कावड़ यात्रा नहीं निकालने दिया गया और सिंधिया की जन आशीर्वाद यात्रा के लिए खुद भाजपा, उसकी सत्ता और प्रशासन पलके बिछाए बैठा हुआ है। ऐसा क्यों?
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
इंदौर शहर कांग्रेस ने एयरपोर्ट पर लगी भीड़ और अव्यवस्थाओं पर सवाल करते हुए कहा कि कोरोना गाइडलाइन का हवाला देकर कावड़ यात्रा तक को प्रतिबंधित कर रखा है। मगर भाजपा की यह यात्रा निकाली जा रही है। शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने कहा कि तमाम प्रतिबंधों के चलते भाजपा को जन आशीर्वाद यात्रा के नाम पर भीड़ भरा आयोजन करने की अनुमति कैसे दे दी गई?