नकली प्रमाण पत्र से नौकरी दिलाने वाले आरोपियों को सजा
उज्जैन। नकली प्रमाण पत्र और आदेश बनाकर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने वाले 11 आरोपितों को कोर्ट ने तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। मामले में आरोपित व तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी रमा गोयल अब तक फरार है। वहीं, छह आरोपितों को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। तत्कालीन एसपी को गुमनाम शिकायत मिली थी। जिसकी जांच के बाद पूरे मामले का पदार्फाश हुआ था। 28 साल बाद आरोपितों को सजा हुई है।
उप-संचालक अभियोजन डा. साकेत व्यास ने बताया कि पुलिस अधीक्षक उज्जैन कोे वर्ष 1995 में गुमनाम व्यक्ति द्वारा एक लिखित शिकायत की गई थी। जिसमें लिखा गया था कि उज्जैन शहर में एक व्यक्ति नकली प्रमाण पत्र व नकली आदेश लेकर नौकरी लगाता है। इसके एवज में 25 से 30 हजार रुपये लेता है। शिकायत में दर्ज था कि एक व्यक्ति को माकडोन के अस्पताल मे जाली प्रमाण पत्र व जाली आदेश लेकर नौकरी पर लगाया है। एसपी ने मामले की जांच सीटीसीआइडी उज्जैन को सौंपी थी।
जांच मे यह तथ्य आया था कि वर्ष 1994-95 में गैस राहत त्रासदी के अतिशेष कर्मचारियों को सवेर्लेंस वर्कर/बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी उज्जैन द्वारा कुछ नियुक्तियां दी गई है। जिसकी पुष्टि के लिए संचालक गैस राहत एवं त्रासदी भोपाल एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी गैस त्रासदी भोपाल को पत्र लिखकर जानकारी ली गई थी। दोनों कार्यालय से मिली रिपोर्ट से पता चला था कि उनके कार्यालय से कोई भी अतिशेष कर्मचारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी उज्जैन के अधीन पदस्थ नहीं किया गया है और न ही पत्र में जिन कर्मचारियों के नामों का उल्लेख किया गया है वह उनके अधीन कार्यरत हैं।