शहर की आबोहवा ये तय करती है की वहां के नागरिकों का स्वास्थ्य एवं उनका लाइफस्टाइल कैसा है

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम अंतर्गत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को ग्यारवीं निगरानी समिति की बैठक आयोजित हुई जिसमें उज्जैन सहित भारत के कुल 82 नॉन अटेनमेंट शहरों की समीक्षा की गयी। निकायों द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु कार्य परियोजनाएं प्रदर्शित की गयी अथवा पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उन शहरों की आबोहवा कितनी स्वच्छ हुई इसका भी आंकलन हुआ।
उज्जैन का निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र श्री महाकालेश्वर परिसर में स्थित है जिससे सम्पूर्ण शहर की वायु गुणवत्ता का आंकलन किया जाता है। विगत वर्षों से महाकाल लोक का निरंतर कार्य चलने के बावजूद भी वर्ष 2022-23 के एयर क्वालिटी लेवल वर्ष 2021-22 की तुलना में सुधार पाया गया। मंत्रालय द्वारा उज्जैन शहर का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक एक्यूआई लेवल 60 तक निर्धारित किया गया है। इसके लिए मंत्रालय द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से उज्जैन नगर निगम को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अनुदान राशि प्रदान करती है। वर्ष 2021-22 में 2.32 करोड़ एवं वर्ष 2022-23 में 3.47 करोड़ उज्जैन को प्राप्त हुए हैं जिसमें 2 रोड स्वीपिंग मशीन का क्रय, सीवर साफ़ करने के लिए बैंडीकूट रोबोट, 2 निर्माण एवं विध्वंस संग्रहण केंद्र जैसे कार्य किये जा चुके हैं एवं 11 चौराहों पर फव्वारे, पेड़ों और सड़क से धुल साफ़ करने हेतु वाटर केनन स्प्रेयर मशीन, मुख्य फ्लाईओवर पर वर्टीकल ग्रीन गार्डन, पाइप फैक्ट्री चौराहे से उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज तक सड़क के दोनों तरफ 5 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक, एवं विभिन्न स्थानों पर फूटपाथ बनाने के कार्य प्रचलित हैं जो 3 महीनों के अंतराल में पूर्ण कर लिए जाएँगे।  उज्जैन की एयर क्वालिटी में सुधर होता हुआ देख मंत्रालय द्वारा और बेहतर कार्य करने के लिए वर्ष 2023-24 में 13.2 करोड़ की राशि प्रदान की जा रही है जिससे शहर अपना लक्ष्य पूर्ण कर सके। किसी भी शहर की आबोहवा ये तय करती है की वहां के नागरिकों का स्वास्थ्य एवं उनका लाइफस्टाइल कैसा है, नगर निगम द्वारा समय सीमा से पहले ही एयर क्वालिटी लेवल का लक्ष्य प्राप्त करने का संपूर्ण प्रयास किया जा रहा है” – रौशन सिंह, नगर निगम कमिश्नर

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