अपने आदेश का पालन करवाने खुद मानव अधिकार आयोग को लेनी पड़ी हाईकोर्ट की शरण उच्च न्यायालय से अधिकारियों को नोटिस जारी
उज्जैन निवासी कैदी की इंदौर सेंट्रल जेल में हुई मौत पर क्षतिपूर्ति का है मामला
ब्रह्मास्त्र इंदौर। सरकार तो अब मानव अधिकार आयोग की भी नहीं सुन रही है। आयोग ने उज्जैन निवासी एक कैदी की इंदौर सेंट्रल जेल में मृत्यु को सिर में चोट लगना पाते हुए पांच लाख रुपये क्षतिपूर्ति का आदेश दिया था, लेकिन जेल विभाग यानी राज्य शासन ने टका सा जवाब देते हुए यह रुपए देने से इंकार कर दिया। अब अपने आदेश का पालन करवाने हेतु मानव अधिकार आयोग को हाई कोर्ट में रिट लगानी पड़ी है। इस मामले में हाईकोर्ट से राज्य शासन के संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी हुए हैं।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा का पालन करने से इंकार कर देने पर आयोग द्वारा राज्य शासन व अन्य के विरूद्ध मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में एक रिट याचिका लगायी गई थी। इस रिट याचिका प्रकरण क्रमांक 9187/21 पर सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय, जबलपुर ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, गृह विभाग, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग सहित पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), मध्यप्रदेश तथा महानिदेशक, जेल एवं सुधारात्मक सेवायें (डीजी-जेल) को नोटिस जारी कर आगामी 6 सितम्बर 2021 तक जवाब देने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि 22 मार्च 2015 को सेंट्रल जेल, इंदौर में दंडित बंदी अंसार पिता मिस्त्री अहमद, निवासी उज्जैन की जेल अभिरक्षा में मृत्यु हो गई थी। आयोग द्वारा इस जेल अभिरक्षा मृत्यु पर त्वरित संज्ञान लिया गया था। मामले की गहन जांच पश्चात् आयोग ने यह पाया कि बंदी अंसार की मृत्यु प्रकृति के सामान्य क्रम में न होकर उसके सिर में आई चोटों की वजह से हुई है। इसपर आयोग ने दंडित बंदी की अभिरक्षा में असामायिक मृत्यु से उसके जीवन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा पाते हुये राज्य शासन को मृतक बंदी के वैध वारिसों को पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने की अनुशंसा 20 मार्च 2020 को की थी। उप सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग द्वारा आयोग की इस अनुशंसा का पालन करने से इंकार कर दिया गया था। मध्यप्रदेश शासन के इस निर्णय के विरूद्ध आयोग द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर में एक रिट याचिका प्रस्तुत की गयी थी। इसी संदर्भ में उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा उपरोक्त सभी अधिकारियों को नोटिस जारी कर 6 सितम्बर 2021 तक जवाब मांगा है।