मां पर शायरी लिखने वाले मुनव्वर राना की “मादरे वतन” से गद्दारी: दर्ज हो राजद्रोह का केस
ब्रह्मास्त्र इंदौर/ दिल्ली। प्रख्यात शायर मुनव्वर राना को सुनने वालों के मन में उनके लिए बहुत इज्जत थी। वजह थी कि वह मां के मुरीद थे। उनकी हर ग़ज़ल मां पर लिखी गई है, परंतु मादरे वतन ( माँ के समान देश ) से अलग अब मुनव्वर राना को तालिबान की हवा लग गई है। उनके मन में तालिबान के प्रति मोहब्बत जाग गई है या फिर उनका नकाब उन्होंने अपने ही हाथों से नोच लिया है। तालिबानी लड़ाकों के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तुलना करने पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क के खिलाफ राजद्रोह समेत कई धाराओं में उत्तर प्रदेश के संभल कोतवाली पुलिस थाने में एफ आई आर दर्ज हो गई है। यूपी के शायर मुनव्वर राणा ने भी ऐसी ही हरकत की है, जिसे लेकर अब यह मांग उठ रही है कि मादरे वतन से गद्दारी करने वाले शायर राना के खिलाफ भी राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाए।
मुनव्वर तालिबान का पक्ष तो ले ही रहे हैं। अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने तालिबानियों की तुलना स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से कर दी है। हिंदू धर्म को आघात पहुंचाने वाले उनके उदाहरण लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक जो उनके प्रति गैर मजहबी मोहब्बत थी, वह भी खत्म होती जा रही है। लोग उन्हें एक वीभत्स मानसिकता वाला शायर मान रहे हैं। वह तालिबान के पक्ष में बार-बार विवादित बयान दे रहे हैं। इससे इंदौर- उज्जैन सहित देश में उनके लाखों प्रशंसक भी भड़क गए हैं। गुरुवार को उन्होंने एक और ‘ओछा’ बयान दिया। इसने तमाम हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। मुनव्वर राना ने महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से कर डाली। एक टीवी चैनल में बातचीत के दौरान वह हिंदू धर्म पर सवाल खड़े करते दिखे।
मुनव्वर राना बोले- तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया, दिक्कत क्या है? ‘तालिबान आतंकी हैं पर उतने ही आतंकी हैं जितने रामायण लिखने वाले वाल्मीकी।’ उनसे पूछा गया था कि तालिबानी आतंकी हैं या नहीं? बेहद ‘सड़कछाप’ भाषा का इस्तेमाल करते हुए मुनव्वर राना बोले, ‘अगर वाल्मीकी रामायण ‘लिख देता है’ तो वह देवता ‘हो जाता है’, उससे पहले वह डाकू होता है।
जब टीवी चैनल के एंकर ने इस पर आपत्ति जताई कि कम से कम भगवान वाल्मीकि के साथ वह तालिबान की तुलना न करें तो मुनव्वर राना बोले, ‘आपके मजहब (हिंदू धर्म) में तो किसी को भी भगवान कह दिया जाता है। लेकिन, वो एक लेखक थे। ये ठीक है कि उन्होंने एक बड़ा काम किया। उन्होंने रामायण लिखी।
पहले भी जता चुके ‘हमदर्दी’
बुधवार को मुनव्वर राना ने कहा था कि तालिबान को आतंकवादी या आतंकी नहीं कह सकते, उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है। बंदूक के जोर पर सत्ता में आने से जुड़े सवाल पर मुनव्वर ने कहा था कि इसको उस हिंदुस्तान की तरह सोचा जाए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने उसे आजाद कराया था। उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया तो क्या दिक्कत है।
दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन बरखा शुक्ला सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मुनव्वर राना आप भी एक काम कीजिए। आप भी तालिबान ही चले जाइए। आपके लिए सबसे महफूज जगह तालिबान है।
मुनव्वर राना ने ये विवादित बयान ऐसे समय दिया है जब अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद महिलाओं और लोगों के प्रति हिंसा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गोली मारी जा रही है।