कलेक्टर कार्यालय के बाबू का घोटाला सात करोड़ पर पहुंचा, राहत राशि दूसरे खातों में
दैनिक अवन्तिका इंदौर
कलेक्टर कार्यालय की लेखा शाखा में पदस्थ रहे बाबू मिलाप चौहान और उसके साथियों का घोटाला करीब सात करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जिला प्रशासन की जांच में कुछ और ऐसे संदिग्ध बैंक खाते मिले हैं, जिनमें शासकीय धन पहुंचाया गया है। यह उन लोगों की राहत राशि का पैसा है, जो उनको शासन की ओर से अलग-अलग योजनाओं में क्षतिपूर्ति के रूप में मिला था। चौहान ने हितग्राहियों के खाते में यह राशि न भेजकर अपने परिचितों के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी और बाद में वहां से निकाल ली। करीब तीन महीने पहले यह घोटाला सामने आया था। तब कलेक्टर डा. इलैया राजा टी ने जांच दल गठित करके पूरे मामले की जांच शुरू कराई थी। अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ और जिला कोषालय के अधिकारियों द्वारा की गई जांच में बाबू मिलाप, उसके सहायक रणजीत करोड़ और चपरासी अमित निंबालकर की मिलीभगत सामने आई थी। अपर कलेक्टर राठौड़ के प्रशिक्षण पर जाने से जांच थमी रही। अब दोबारा जांच शुरू हुई है।
रिश्तेदारों और दोस्तों के खातों में जमा कराए रुपये
कलेक्टर कार्यालय के तीनों कर्मचारी अपने रिश्तेदारों और मित्रों के खाते में शासकीय धन ट्रांसफर करते रहे और दूसरी तरफ निकालते रहे। बदले में रिश्तेदारों और मित्रों को भी कुछ हिस्सा दिया। तब तक जांच में करीब पौने छह करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई थी। अपर कलेक्टर राठौड़ के प्रशिक्षण पर जाने से जांच थमी रही। अब दोबारा जांच शुरू हुई है।
इस मामले में तीन कर्मचारियों सहित 29 लोगों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज तैयार कर हेराफेरी का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले में मिलाप और रणजीत तो गिरफ्तार होकर जेल में हैं, लेकिन अमित अब भी फरार चल रहा है। अपर कलेक्टर राठौड़ ने बताया कि लेखा शाखा के जरिए जांच जारी है। कुछ संदिग्ध लेनदेन मिले हैं। कोषालय इनकी पड़ताल की जा रही है।